सस्पेंस और थ्रिल की जुगलबंदी
सस्पेंस और थ्रिल की जुगलबंदी
फिल्म निर्देशक अश्विनी सरवणन की फिल्म गेम ओवर बॉक्स ऑफिस पर औसतन कामयाब कही जा सकती है। तेलुगू फिल्म को तमिल में डबिंग कर यह मूवी दर्शकों के सामने पेश की गई है।
फिल्म की खूबसूरती यह है कि पहले सीन के साथ कहानी से दर्शकों को जोड़ देती है। इसकी शुरुआत अमृता नाम की युवती की बेरहमी से कत्ल से होती है। यह कत्ल फिल्म की आगे की पटकथा तय करती है।
पटकथा बेजोड़ है जो खूनी के सस्पेंस को लगभग हर दृश्य में दिखाती है लेकिन उसका अंदाजा तक नहीं लगने देती। दर्शकों के पास क्लाईमैक्स तक कुर्सी से चिपके रहने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचता। वे खूनी का अंदाजा लगा पाने में विफल रहते हैं।
गेम ओवर शीर्षक कहानी को पूरी तरह जस्टीफाई करती है। इसमें खूनी किस तरह खुद को बचाए रखता है वह दिखाया गया है। इसके लिए फिल्म निर्देशक सरवणन और उनकी सह-लेखक काव्या रामकुमार की तारीफ करनी होगी। जो फिल्म में परत दर परत उठाने में कामयाब रहे।
सपना नाम का मुख्य किरदार निभा रही तापसी पन्नू की जिन्दगी में सब कुछ परफेक्ट होता है लेकिन फिर हालात विपरीत होने लगते हैं और वह खुद को लाचार पाने लगती है। फिल्म की गति तेज है इसलिए दर्शक नहीं ऊबते।
हर सीन में उसे कुछ नया जानने को मिलता है जो सपना की जिन्दगी से जुड़ा है। तापसी पन्नू मजबूत और गंभीर किरदारों की वजह से पहचान बना चुकी है। इस फिल्म में भी उन्होंने अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया है।
तापसी का फिल्म में भरपूर साथ निभाया है विनोदिनी वैद्यनाथन ने जो कलाम्मा के किरदार में हैं। ये दोनों पात्र अंत तक दर्शकों को फिल्म से जोड़े रखते हैं।
फिल्म की कहानी के अनुसार अमिता की हत्या का असर सपना की जिन्दगी पर पड़ता है। फिर फिल्म में लगभग वही स्थितियां पैदा होती हैं जैसे किसी खेल में होती है। उसी तरह की घटनाओं का बारबार होना और नतीजा अलग-अलग आने की पटकथा पर कुछ हॉलीवुड फिल्में बनी हैं।
फिल्म दर्शनीय है और सस्पेंस के तत्व को बरकरार रखती है। इसको साढ़े तीन रेटिंग मिली है। तमिल फिल्म इंडस्ट्री की बात की जाए तो यह नया प्रयोग था जो स्वागत योग्य है।
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