इस अवसर पर ओजस्वी प्रवचनकार आचार्य विमलसागर सूरी ने कहा कि अज्ञान दुखों का कारखाना है। दुखमुक्ति के लिए अज्ञान से मुक्त होना परम आवश्यक है। विडम्बना ही है कि मनुष्य सुख-शांति तो चाहता है लेकिन अज्ञान को दूर करना नहीं चाहता। ज्ञान का अनादर जीवन में हजारों समस्याएं लाता है।
झूठ, चोरी, अभिमान, विश्वासघात, ईष्र्या, लोभ-लालसा, माया, कपट ये सब अज्ञान के रूप हैं। इन मार्गों पर चलकर सुखी होने की अभिलाषा ही इंसान का सबसे बड़ा भ्रम है। आचार्य ने कहा विनय प्रामाणिकता, उदारता, संतोष, सद्भावना, सरलता, परोपकार आदि सुख-शांति के मार्ग हैं लेकिन मनुष्य ज्ञान के इन मार्गों पर चलना नहीं चाहता।