ऐसी परिस्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार के प्रस्ताव को वापस कराने को लेकर एआईएडीएमके सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए। अगर केंद्र सरकार विधेयक के जरिए आगे बढऩे की कोशिश करती है तो कांग्रेस द्वारा राज्य में प्रदर्शन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इससे पहले डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नए बिजली बिल का मसौदा देश के संघवाद के खिलाफ है और राज्य के अधिकारों को छीनने को लेकर केंद्र सरकार के प्रयासों का एक हिस्सा है। बिल का मसौदा किसानों में मुफ्त बिजली की आपूर्ति और घरेलू उपभोक्ताओं को प्रदान किए जाने वाले 100 यूनिट फ्री बिजली पर रोक लगाने के उद्देश्य से पेश किया गया है। बिल में किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष सब्सिडी प्रदान करने का प्रस्ताव है, लेकिन उनके द्वारा उपयोग किए गए बिजली पर चार्ज किया जाएगा, जो कि संघवाद के खिलाफ है। ऐसी परिस्थिति में केंद्र द्वारा प्रस्तावित नए बिल मसौदे को राज्य सरकार को स्वीकार नहीं करना चाहिए। उसके बाद तमिल मनिला कांग्रेस के अध्यक्ष जी.के. वासन ने कहा था कि केंद्र सरकार को प्रस्तावित नए बिजली बिल के मसौदे को वापस ले लेना चाहिए, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं और किसानों को किसी प्रकार का लाभ नहीं मिलेगा।