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चेन्नई

पहले थे अजनबी, फिर फेसबुक फ्रेंड और अब उठा रहे जल प्रबंधन का बीड़ा

-तमिलनाडु के शिवकाशी तीन मित्रों की अजीब दास्तां-पूरे जिले के जल स्रोतों का कर रहे कायाकल्प-शिवकाशी फेसबुक फ्रेंड ग्रुप बनाया और आज उसके 80,000 सदस्य-शिवकाशी के सबसे बड़े जलस्रोत को साफ करने का उठाया बीड़ा-देश भर के लिए बने मिसाल-दान राशि से लेकर निर्माण सामग्री तक का सहयोग कर रहे लोग

चेन्नईOct 21, 2021 / 10:53 pm

Santosh Tiwari

पहले थे अजनबी, फिर फेसबुक फ्रेंड और अब उठा रहे जल प्रबंधन का बीड़ा

पहले थे अजनबी, फिर फेसबुक फ्रेंड और अब उठा रहे जल प्रबंधन का बीड़ा

चेन्नई.
फेसबुक पर मिलने से पहले वे एक दूसरे को नहीं जानते थे, लेकिन जब मिले तो पता चला कि वे एक ही जिले के हैं फिर क्या था तीनों मित्र बने और शुरू हो गया अपनी मातृभूमि का ऋण उतारने का अंतहीन सिलसिला। उन्होंने जलश्रोतों के पुनरुद्धार का बीड़ा उठाया। उन तीनों के मन में आए इस छोटे से विचार की जड़े इतनी गहरी हो चुकी हैं कि आज उसका लाभ समाज को मिल रहा है। 2014 में फेसबुक फ्रेंड सरवनकांत, शंकर एवं शनमुग रत्नम को पता चला कि वे एक ही शहर के रहने वाले हैं। अपनेपन की इस भावना ने उन्हें कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित किया। तीनों एक साथ मिले और शिवकाशी फेसबुक फ्रेंड ग्रुप बनाया। समान विचारधारा वाले इससे जुड़ते गए। उन्होंने पहला काम किया यहां के चौराहे को नया रूप दिया जो कचरे व झाड़ियों से भरा पड़ा था। इसमें तीन महीने का समय लगा अब यह शिवकाशी की पहचान बन चुका है। आज इस समूह में 80,000 सदस्य हैं। एडमीन फोकस ग्रुप में 54 सदस्य हैं जो कई प्रोजेक्ट में लगे हुए हैं।
जल प्रबंधन से मिली पहचान
इस समूह ने समाज के कई काम किए लेकिन उन्होंने जब जल प्रबंधन का काम शुरू किया तब सबका ध्यान उनकी ओर गया। समूह ने जलश्रोतों की सफाई शुरू की। 2019 में उन्होंने यहां के सबसे बड़ जलश्रोत को साफ करने का काम शुरू किया। पिछले दो दशक से इसकी स्थित बेहद खराब अवस्था में थी। समूह ने इसकी सफाई का व्यापक काम शुरू किया। इससे के लिए तीन चरणों में विस्तृत योजना बनाई गई और इसका उपयोग रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए किया गया। इसे 35 लाख रुपए की लागत से ठीक किया जाएगा। वाकिंग ट्रैक के साथ साथ यहां पौधे लगाने की भी योजना है। यह जलश्रोत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके आस पास 21 स्ट्रीट हैं।
शिवकाशी पूरी तरह से बोरवेल पर निर्भर
शिवकाशी अपनी जल जरूरतों के लिए पूरी तरह से बोरवेल पर निर्भर है। इस टैंक के पुनरुद्धार से भूजलस्तर में वृद्धि होगी। आज इसकी क्षमता 1.6 करोड़ लीटर की हो चुकी है जो कभी 75 लाख लीटर थी। पूरे शहर को इससे लाभ होगा। इस समूह की योजना शहर के सभी छोटे बड़े टैंक के पुनरुद्धार की है।
दान से लेकर निर्माण सामग्री तक सहयोग
इस समूह को लोगों से दान के रूप में सहयोग मिल रहा है। इसके अलावा मानवश्रम एवं निर्माण सामग्री का भी सहयोग मिल रहा है। समूह की योजना यहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण की भी है। यह समूह अपने फाइनेंसियल स्टेटमेंट भी नियमित रूप से अपलोड करता है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

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