प्रवासियों ने श्रम की बून्दों से चेन्नई महानगर के मइलापुर इलाके के केशव पेरुमाल मंदिर के पास जलाशय को नया रूप प्रदान किया। पानी बचाने में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आमजन उत्साहित हैं। शहरी लोगों को पानी बचाने एवं उसकी बर्बादी रोकने के लिए जागरुक होना होगा। अमृतं जलम कार्यक्रम करके बेहद सुखद अनुभूति हुई। प्रवासियों ने विश्वास दिलाया कि वे इस तरह के जनहित के कार्य में आगे भी सहभागिता निभाते रहेंगे। लोगों की जागरुकता की दिशा में काम किया जाएगा।
पत्रिका के बैनर तले आयोजित इस कार्यक्रम में चेन्नई में मन्दवेली एवं मइलापुर तथा आसपास के प्रवासियों ने श्रमदान में हिस्सा लिया। इस दौरान जलाशय से झाडिय़ों को हटाने, पॉलिथीन हटाने एवं सफाई का कार्य किया गया। युवा टीम के सदस्य महेन्द्र बेनीवाल, महिपाल जाजड़ा, ओमप्रकाश बेनीवाल व सुगन गोदारा ने जलाशय में फैले कचरे एवं झाडिय़ों को बोरों में भरकर बाहर फेंका। इस जलाशय के खोते अस्तित्व को बचाने के लिए हर कोई लालायित दिखा।
तालाब में श्रमदान कर लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरुक किया। इस मौके पर प्रवासियों ने संकल्प लिया कि वे न तो पानी बर्बाद करेंगे और न ही किसी को पानी बर्बाद करने देंगे।
सभी ने पत्रिका की इस मुहिम की सराहना की। इस दौरान तालाब में उगी झाडिय़ों को हटाया गया। कार्यक्रम के अंत में सामाजिक कार्यकर्ता हुकमाराम गोदारा कुड़ची ने जल संरक्षण, पर्यावरण की रक्षा एवं जल ोतों की रक्षा की शपथ दिलवाई। इस मौके पर दीपाराम जाणी, भंवरलाल बेनीवाल, भीखाराम पोटलिया, सुगनाराम भाम्बू, अशोक लोल, राजेन्द्र भाम्बू, बन्नाराम जाणी, रामचन्द्र गोदारा, वीरेन्द्र गोदारा समेत अन्य प्रवासियों एवं युवाओं ने जलाशय की सफाई में योगदान दिया।
प्रारम्भ में राजस्थान पत्रिका चेन्नई के मुख्य उप संपादक अशोकसिंह राजपुरोहित ने अमृतं जलम् अभियान की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए कहा कि जल की एक-एक बूंद कीमती है और इसे बचाना जरूरी है। जल संरक्षण के लिए पत्रिका समूह पिछले डेढ़ दशक से अमृतं जलम् अभियान चला रहा है।
पत्रिका के सामाजिक सरोकारों के तहत इस बार पारम्परिक जलोंतो को गहरा करने, उनके संरक्षण एवं जीर्णोद्धार के कार्य किए जा रहे हैं। पत्रिका 2004 से इस तरह की मुहिम चला रहा है। मानसून सीजन से पहले जलोंतों का जीण्र्णेद्धार किया जाता है। जल संरक्षण एवं लोगों में जागरुकता का प्रयास किया जाता है।
जलोतों को सहेजने की जरूरत
बारिश से पहले जल संरक्षण का यह अच्छा प्रयास है। ऐसे कार्य में प्रत्येक नागरिक को सहभागी बनना चाहिए। क्योंकि जल है तभी जीवन है। तालाबों के साफ-सुथरा होने एवं उसके गहरीकरण होने से धरती बूंद-बूंद से जल का संचय होगा। जल है तो कल है। प्राकृतिक जलोत के संरक्षण के लिए आगे आएं। हमें यह भी प्रयास करना होगा कि तालाब भी स्वच्छ रहे तथा इसमें प्रदूषण भी न हो। सामूहिक प्रयासों से सब कुछ संभव है। समय रहते जलोतों को सहेजने की जरूरत है। हुकमाराम गोदारा, सामाजिक कार्यकर्ता व व्यापारी, मन्देवेली।
पत्रिका का अभियान प्रेरणादायक
राजस्थान पत्रिका समूह की ओर से लम्बे समय से पर्यावरण, जल संचय एवं सफाई जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर लोगों को जागरुक किया जा रहा है। राजस्थान पत्रिका की यह पहल सराहनीय है। जल है तो जीवन है। जल तभी होगा जब जल के प्राचीन ोत भी अस्तित्व में रहेंगे। पत्रिका का यह अभियान प्रेरणादायक है। पत्रिका इसके लिए बधाई की पात्र है।ईश्वर सारण, व्यापारी, मन्देवेली।
वर्षा जल संग्रहण जरूरी
हमें जल संरक्षण की दिशा में काम करने की जरूरत है। घरों में वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था की जानी चाहिए। यदि वर्षा जल को पहले से संग्रहित करने के उपाय कर लिए जाए तो जल संकट की एक बड़ी समस्या का समाधान निश्चित रूप से हमें मिलेगा। इस पर हमें विचार करना चाहिए। हमेें खुद के साथ ही यदि आने वाली पीढ़ी को खुशहाल देखना है तो जल की बर्बादी रोकनी होगी। जलोतों को सुरक्षित व स्वच्छ रखने का अभियान सराहनीय है। मदाराम बेनीवाल, व्यापारी, मन्देवेली।
सोच-समझ कर उपयोग करें जल का
जल अनमोल है। सोच-समझ कर ही इसका उपयोग करना चाहिए। जिस तरह जल को लेकर समूचे देश में हाहाकार मचा हुआ है, इस दिशा में भी हमें सोचना चाहिए। इस तरह के अभियान आगे भी चलते रहें। इस तरह के कार्यक्रम पूरे देश में चलाए जाएं तो पूरा देश स्वच्छ हो जाए। सफाई से बड़ी कोई चीज नहीं। संजय कुमार सेन, व्यापारी, मन्देवेली।
दस लोगों को करूंगी जागरूक
मैं ग्रामीण परिवेश से आती हूं। श्रम की महत्ता को मैंने बचपन से जाना है। स्वच्छता के संस्कार मुझे परिवार से मिले हैं। श्रम की आहूति से ही हमारा देश मजबूत होगा। जल हमारे लिए बहुत जरूरी है। मैं यह संकल्प लेती हूं कि कम से कम दस लोगों को जल संरक्षण के लिए अवश्य जागरूक करूंगी। हम दैनिक जीवन में भी यदि जल बचाना शुरू करें तो यह छोटी सी बचत हमारे लिए बहुत बड़ी सफलता के रूप में सामने होगी। मौजूदा दौर में जिस तरह समूचे देश में जल संकट गहराता जा रहा है, इसके लिए हमें अभी से जागरूक होना होगा और लोगों को भी जल संरक्षण के लिए प्रेरित करना होगा।
प्रियंका गोदारा, बीए द्वितीय वर्ष (अंग्रेजी साहित्य), एत्तिराज महिला महाविद्यालय।