उन्होंने राज्यभर में जलस्रोतों की मरम्मत, नए बांध के निर्माण और अन्य विकास व सुधार कार्यों पर विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों को जोडऩे के लिए अब तक १२ बैठकें हुई हैं और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में निर्देश दिए हैं। हमारी केंद्र सरकार से मांग है कि नमामि गंगे की तरह नदियों को जोडऩे की परियोजना शुरू की जाए। महानदी, गोदावरी, कृष्णा, पेन्नारू, पालार, कावेरी, वैगई, गुण्डारू नदियों को आपस में जोडऩे की व्यापक कार्ययोजना (डीपीआर) अविलम्ब तैयार की जाए।
नदियों के राष्ट्रीयकरण को अमलीजामा पहनाने के लिए संसद में विधेयक लाया जाए तथा राष्ट्र के लिए अत्यावश्यक इन योजनाओं पर शीघ्रातिशीघ्र कार्य शुरू किया जाए। उन्होंने यह मांग पीएम मोदी से निजी और पत्रों के जरिए भी की है।
इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम, ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव, अपोलो अस्पताल के संस्थापक डा. प्रताप सी. रेड्डी, उद्यमी राजीव मित्तल, अभिनेत्री सुहासिनी मणिरत्नम और कर्नाटिक गायिका सुधा रघुनाथन और अन्य उपस्थित थे।
बारिश ने जगाई उम्मीद पर जलाशयों की नहीं बुझी प्यास
उत्तर पश्चिम मानसून की बारिश ने लोगों के चेहरे पर आशा की किरण तो जगाई लेकिन जलाशयों के स्तर में अभी भी सुधार आना बाकी है। मेट्रो वाटर के अधिकारी का कहना है कि काफी अच्छी बारिश होने के बावजूद भी पूंडी, चोलावरम, रेडहिल्स और चेंबरम्बाक्कम जलाशयों में जलस्तर अभी भी वैसा ही है। जलाशयों में पानी का स्तर दो अंकों तक चला गया है जबकि इसे तीन अंकों में होना चाहिए। अभी जलाशय की क्षमता ३९५० लाख क्यूसेक है जो कि ४४५० लाख क्यूसेक होना चाहिए था।
गौरतलब है कि मेट्रोवाटर चेम्बरम्बाक्कम और रेडहिल्स स्थित जलाशयों से प्रति दिन ७५० से १००० लाख क्यूसेक पानी निकालते हैं। पानी का स्तर कम होने के कारण यहां से पानी निकालने पर रोक लगा दी गई थी। बारिश आने पर अब जलाशय से फिर से पानी निकाला जा रहा है।
महानगर की प्यास बुझाने के लिए मेट्रो वाटर को जमीन के अंदर के जलस्तर पर निर्भर रहना पड़ता है। महानगर की जरूरत को ध्यान में रखते हुए हम कोसासितलियर नदी पर नहर बनाने की योजना कर रहे है जिससे १०० लाख टन अतिरिक्त पानी की व्यवस्था हो सके। नदी पर बने नहर से १० बोरवेल टैप बनाने के लिए ७८ लाख रुपए की निविदा भी जारी की गई है। अभी महानगर को ४३०० लाख प्रति दिन जल मिल रहा है जो कि ८३५० लाख प्रति दिन होना चाहिए। कई अन्य जलश्रोतों की खोज भी महानगर के लोगों की प्यास बुझाने के लिए की जा रही है।