इस अधिकारी ने अपने ओहदे का इस्तेमाल किया और कोयम्बेडु होलसेल मार्केट के बाहर और अंदरूनी काम्पलेक्स में वर्षो से जमे अतिक्रमियों पर कार्रवाई करते हुए उनको मार्केट परिसर से बाहर का रास्ता दिखा दिया, यहां तक कि कई अतिक्रमियों से तो जुर्माना भी वसूल किया गया। उसके बाद पूरे साल तो मार्केट में पूरी तरह सफाई का आलम रहा लेकिन एक साल ही गुजरा होगा कि पूरे मार्केट में अतिक्रमियों ने फिर कब्जा जमा लिया है। इसका कारण यह रहा कि पिछले प्रशासनिक अधिकारी राजेंद्र का कहीं और तबादला कर दिया गया जिससे उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई करने वाला ही नहीं रहा।
यही कारण है कि अब कोयम्बेडु मार्केट के अंदरूनी और बाहरी हिस्से में न तो कचरे का निस्तारण हो रहा है और न ही इन अतिक्रमियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई हो पा रही है। यहां पूरी सडक़ पर अतिक्रमियों के दुकानें सजा लेने के कारण आवाजाही के मार्ग पर भी जाम की स्थिति बनी रहती है।
मार्केट के स्थायी दुकानदारों का कहना है कि राजेन्द्रन के प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त होने के बाद कोयम्बेडु मार्केट में अतिक्रमण पर तो लगाम लगी ही, कचरे का निस्तारन भी समय पर किया जाता था जिससे पूरे मार्केट के आवाजाही के सभी प्रमुख मार्ग अतिक्रमण मुक्त हो गए थे।
इन लोगों को पुन: अतिक्रमण का मौका तब मिला जब प्रशासनिक अधिकारी राजेंद्र का तबादला हो गया। इसका पता चलते ही फिर से पूरे मार्केट में कुकुरमुत्ते की तरह अतिक्रमियों ने जमना आरंभ कर दिया। इतना ही नहीं सफाईकर्मी भी नदारद रहने लगे। इसी का परिणाम है कि मार्केट में चारों ओर कचरे का साम्राज्य हो गया। कई दिन तक कचरा नहीं उठता जिससे वह बदबू मारने लगता है।
कोयम्बेडु मार्केट के अंदर एक दुकान में नौकरी कर रहे शंभूनाथन के अनुसार एक महीने पहले तक कोई भी व्यक्ति सब्जी मार्केट में अवैध रूप से दुकान लगाने के बारे में सोच भी नहीं सकता था। इससे अंदरूनी और बाहरी हिस्से में ट्रेफिक के संचालन में भी कोई परेशानी नहीं होती थी, लेकिन अधिकारी के तबादले का पता चलते ही अतिक्रमियों के बाछें खिल उठी और फिर उन्होंने मार्केट कॉम्पलेक्स के बाहर और भीतर जमावड़ा लगा लिया।
बतादें कि कोयम्बेडु होलसेल मार्केट में प्रतिदिन औसतन ५०० ट्रकों की आवाजाही होती है। इनमें से ३२५ ट्रक सब्जियों की होती हैं जबकि १२५ ट्रकों में फूल और फल आते हैं। ने केवल राज्य के अन्य जिलों बल्कि बाहरी राज्यों से भी सब्जियों एवं फलों के ट्रकों का आवागमन होता है।
एक दैनिक मजदूर लंबोदरन का कहना था कि यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में ट्रकों की आवाजाही से हम मजदूरों को काम मिल जाता है। लेकिन गत महीने से इन सभी जगहों पर अतिक्रमियों ने फिर से वापस दुकानें लगा ली है जिससे ट्रकों के आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अंदर आने के लिए माकूल जगह नहीं मिलने की स्थिति में लारियां मार्केट के अंदर ही नहीं आ पाती, क्योंकि जहां ट्रक खड़े करने की जगह है वहां अतिक्रमियों ंने फिर से कब्जा कर लिया है। इससे हमारी दिहाड़ी पर संकट उत्पन्न हो गया है। मालूम हो कि पूर्व प्रशासनिक अधिकारी के रहते हुए मार्केट के अंदरूनी और बाहरी हिस्से में कचरा का निस्तारण होता था और हर रोज २०० टन कचरे का निस्तारण ठीक से हो रहा था लेकिन अधिकारी बदलते ही बाजार मेंं कचरा निस्तारण फिर से पूर्वावस्था मेें आ गया है।
जब पत्रिका संवाददाता ने मार्केट के लोगों से कचरा निस्तारण के बारे में पूछा तो अधिकांश लोगों का कहना था कि यहां कचरा फैलाने में अवैध रुपए लगे दुकानदारों का अहम रोल है।ये दुकानदार यहां पर दुकान तो लगाते हैं और कचरा फैलाकर चल देते हैं। इन अतिक्रमियों के बारे में मार्केट प्रशासन का कहना है कि पिछले एक साल में अतिक्रमियों पर कार्रवाई तो हुई ही, उनसे करीब ५.६ लाख रूपए का जुर्माना भी वसूला गया है जो पिछले कुछ महीनों में सर्वाधिक रहा।