परिर्वतन है संसार का नियम
जयधुरंधर मुनि ने कहा कि मनुष्य को अपने साधना को भंग नहीं होने देना चाहिए।
परिर्वतन है संसार का नियम
चेन्नई. साहुकारपेट जैन स्थानक में विराजित जयधुरंधर मुनि ने कहा कि मनुष्य को अपने साधना को भंग नहीं होने देना चाहिए। सच्चे लोगों के पास अनमोल ज्ञान के अलावा कुछ नहीं होता, लेकिन उनके जैसा ज्ञान किसी और के पास नहीं होता है। परिवर्तन तो संसार का नियम है समय आने पर अगर खुद को नहीं बदला गया तो समय बदल जाता है। इसलिए जब भी मौका मिले धर्म आराधना कर जीवन में बदलाव लाने का प्रयास कर ही लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में अगर अच्छे मार्गो के लिए परिवर्तन होता है तो उससे जीवन का उत्थान होता है। संसार के सभी घर वेटिंग रूम की तरह होते हैं सही समय आने पर आत्मा के शाश्वत जीवन में प्रवेश करे। ऐसा करने वालों का जीवन अपने आप ही बदल जाएगा। उन्होंने संस्कार जलपान पर कहा जैन लोगों में देने की भावना उनको दूसरों से अलग करती है। यही परमात्मा की सच्ची सेवा है। इस अवसर पर जलपान के चेयरमैन अजीत झागड़ा का शाल माला एवं मोमेंटो से सम्मान किया गया।
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