चेन्नई. दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के शताब्दी वर्ष को शतमानोत्सव वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि महात्मा गांधी ने 17 जून 1918 को चेन्नई में जो तब मद्रास के नाम से जाना जाता था, इस हिन्दी प्रचार सभा की स्थापना की थी। सभा ने 17 जून को स्थापना दिवस समारोह आयोजित कर शतमानोत्सव का लोगो जारी किया है । इस अवसर पर भारत सरकार ने सौ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विशेष डाक टिकट भी जारी किया। सभा के शताब्दी समारोह का उद्घाटन गत 22 सितम्बर को विज्ञान भवन में राष्ट्रपति ने किया।
सालभर चलने वाले इस समारोह के तहत व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा है। आगामी 27 अक्टूबर को सभा परिसर में शतमानोत्सव व्याख्यान-हिंदी की अविराम प्रगति यात्रा विषय पर मुख्य अतिथि महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के प्रो. राममोहन पाठक, निदेशक और डीन और केन्द्रीय विदेश मंत्रालय की हिंदी समिति के सदस्य प्रो. राममोहन पाठक संबोधित करेंगे। समारोह में विशिष्ट अतिथि दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, आंध्र व तेलंगाना के अध्यक्ष पी. ओब्बैया होंगे।
स्वागत भाषण आईएएस (सेवा निवृत्त) के. दीनबन्धु देंगे तथा प्रधान सचिव एस. जयराज शतमानोत्सव के बारे में बताएंगे।
शतमानोत्सव के जनसम्पर्क अधिकारी ईश्वर करुण ने बताया कि सभा की शिक्षा परिषद के अध्यक्ष एस. पार्थसारथी अध्यक्षीय भाषण देंगे और कोषाध्यक्ष सीएनवी अण्णामलै अतिथियों का अभिनन्दन करेंगे। शतमानोत्सव के सचिव टीएसवी पाण्डुरंगाराव धन्यवाद ज्ञापित करेंगे।