Trichy . पेरम्बलूर जिले के कोलक्कंतम स्थित एक स्कूल के प्रधानाचार्य ने एचआईवी पॉजीटिव
HIV V Positive विद्यार्थी को स्कूल school में दाखिला admission देने से इनकार denies कर दिया। मामले को गंभीरता से लेते हुए शुक्रवार को स्कूली शिक्षा निदेशक एस. कनप्पन ने जांच probe का आदेश दिया है। साथ ही उन्होंने स्कूल में प्रवेश देने से इनकार करने के कारण बताते हुए रिपोर्ट report मांगी और जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) को विद्यार्थी को स्कूल में प्रवेश admission दिलाने का निर्देश दिया है।
सूत्रों के अनुसार कुमार नामक एक विद्यार्थी कक्षा आठ तक इसी स्कूल में पढ़ाई कर रहा था। इसके बाद उसकी मां की मौत हो जाने के कारण उसे दूसरे स्कूल में जाना पड़ा, लेकिन वह 10वीं कक्षा की पढ़ाई इसी स्कूल में करना चाहता था। जब वह स्कूल के प्रधानाचार्य के. कामराज के पास पहुंचा तो उन्होंने उसे एक सप्ताह तक कक्षा में बैठने को कहा। साथ ही स्कूल के अन्य शिक्षकों से कहा कि कुमार का एक सप्ताह तक मूल्यांकन किया जाए जिसके बाद स्कूल में प्रवेश को लेकर निर्णय लिया जाएगा। इसी बीच कामराज को पता चला कि कुमार को एचआईवी HIV है तो उन्होंने उसे दो दिन बाद ही स्कूल से निकाल दिया। इसके बाद बुधवार को कुमार के परिजनों ने स्कूल प्रबंधन से इस निर्णय पर स्पष्टीकरण की मांग की जिसे लेकर कामराज और विद्यार्थी की परिजनों के साथ बहस हो गई।
इसके बाद कुमार की चाची ने पत्रकारों को बताया कि एचआईवी पॉजीटिव HIV positive होने की वजह से स्कूल वालों ने कुमार को बाहर किया है। विद्यार्थी के पिता, जो एचआईवी पॉजीटिव
HIV Positive है, ने भी स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि जब वे सीईओ के. अरुल राघव के पास पहुंचे तो वे भी कथित तौर पर कुमार का दाखिला पास के किसी अन्य स्कूल में कराने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा एचआईवी पॉजीटिव HIV positive होने का पता चलने के बाद स्कूल के अन्य विद्यार्थी खुद को असहज महसूस करेंगे। हालांकि मीडिया रिपोर्ट के बाद सीईओ ने कहा वे विद्यार्थी का स्कूल में दाखिल कराने का वादा करते हैं। अधिकारियों ने भले ही विद्यार्थी के दाखिले admission के मामला में कदम उठाने का आश्वासन दिया है लेकिन कुमार के परिजनों ने स्कूल के प्रधानाचार्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
इसी बीच अभिभावक शिक्षक संघ के अध्यक्ष ए. राघवन ने कहा कि यह मामला विद्यार्थी को प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा कि गांव के लोगों को उसकी बीमारी के बारे में पता न चले इसलिए वह अपनी दवा लेने के लिए हर महीने चेन्नई chennai जाता है। वह नहीं चाहता था कि गांव और स्कूल के अन्य विद्यार्थी उसके एचआईवी पॉजीटिव होने के बारे में जाने, लेकिन स्कूल दाखिले की घटना के बाद पूरा गांव जान गया है।
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