उसके बाद एससीईआरटी के तत्कालिन निदेशक जी. अरिवोली ने स्कूल शिक्षा और प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय से मीडिल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में सुरक्षा सेंटर स्थापित करने का निर्देश दिया था। साथ ही कार्रवाई की रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था।
स्कूल शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 2019 के मध्य में दोनो निदेशालयों से कार्रवाई रिपोर्ट प्राप्त हो गई थी, लेकिन सीआरपी केंद्रों की नियमित निगरानी नहीं हो रही थी। हालांकि स्कूलों ने बताया था कि सीआरपी यूनिट गठित कर दिया गया है, लेकिन कई शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों के डेटा का रखरखाव नहीं करते और पहल केवल कागजों पर होती है।
अब अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में सीआरपी केंद्रों का संचालन दो शिक्षकों, तीन अभिभावकों और केंद्र की योजना समग्र के एक अधिकारी द्वारा किया जाए, जबकि उच्च माध्यमिक विद्यालयों में केंद्रों का नेतृत्व दो पुरुष और दो महिला शिक्षकों द्वारा किया जाए।
-स्कूलों में बेहतर परिणाम के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ी है
उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में स्कूलों में बेहतर परिणाम के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, इसलिए बाल संरक्षण इकाईयों को संभालने वाले अधिकांश शिक्षक सीआरपी गतिविधियों में पूरी तरह से नहीं लग रहे हैं। इन केंद्रों की नियमित गतिविधियों में चर्चा, वाद विवाद, प्रश्नोत्तरी और कहानी सुनाना आदि शामिल है। लेकिन शैक्षणिक कार्यो में लिप्त अधिकांश शिक्षक इन केंद्रों पर गतिविधियों को अंजाम नहीं दे सकें। इसके अलावा अधिकांश माता पिता भी बाल संरक्षण केंद्रों की जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। इसलिए उनकी उपस्थिति पर भी निगरानी रखने की जरूरत है।