महिलाओं में बढ़े मामले
चेन्नई स्थित आरजीजीजीएच से जुड़े पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विनोद कुमार के अनुसार अस्पताल की ओपीडी और इमरजेंसी में सांस के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। प्रदूषण के कारण सांस के पुराने एवं नए मरीजों की दिक्कतत बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि महिलाओं में भी सीओपीडी के मामले बढ़ रहे है। उन्होंने कहा कि लक्षणों को बढऩे से रोकने के लिए लोगों को शिक्षित किया जाना चाहिए।
इलाज नहीं कराते मरीज
ईएसआईसी अस्पताल के एक अन्य पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. लोगमूर्ति ने बताया कि क्रोनिक आब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी सीओपीडी का अटैक पडऩे से दम फूलने लगता है, जिससे चलना-फिरना दुश्वार हो जाता है। मरीज सीओपीडी उपचार का पालन नहीं करते हैं। कई मरीज सीओपीडी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर देते हैं और इलाज नहीं कराते हैं।
क्या होता है सीपीओडी
डॉक्टर के मुताबिक, फेफड़े बहुत स्पॉन्जी होते हैं, जब हम सांस के जरिए हवा अंदर लेते हैं, तो ऑक्सीजन हमारे खून के अंदर मिल जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर चली जाती है, लेकिन सीओपीडी एक ऐसा रोग है जो इस प्रक्रिया को रोकता है। सीओपीडी के मरीजों को सांस लेने में परेशानी होती है और ऑक्सीजन उनके शरीर में पूरी तरह नहीं पहुंच पाती।
समस्या की यह है मुख्य वजह
विशेषज्ञों के अनुसार मौसम में बदलाव से कुछ स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं और हम सांस से जुड़ी समस्याओं और वायरल रोगों में वृद्धि देख सकते हैं। हालांकि, यह प्रदूषण है जो इस वृद्धि का मुख्य कारण है। वायु प्रदूषण की घातक प्रकृति, प्रदूषक हमारे फेफड़ों में घुसपैठ करते हैं। प्रदूषण के अधिक संपर्क में रहने के कारण वयस्क और बच्चे दोनों ही इन समस्याओं की चपेट में हैं।
संक्रमण से ऐसे करें बचाव
डॉक्टरों के अनुसार अच्छी जीवशैली को अपनाया जाए। जिन इलाकों में हवा की गुणवत्ता खराब है या वायु काफी प्रदूषित है तो वहां जाने से बचना चाहिए। प्रदूषण के कारण वातावरण में सूक्ष्म कण बढ़ जाते हैं। जो दिखाई नहीं देते परंतु यह सांस के जरिये शरीर के अंदर प्रवेश कर समस्या को बढ़ा देते हैं।