मैं उन दिल दहला देने वाली चीखों-पुकारों को शायद पूरी जिन्दगी नहीं भूल पाऊंगा। मैं झारखंड में सपरिवार बसा हूं और यूनियन कार्यालय में सेवारत हूं। हम 2 टियर एसी में सफर कर रहे थे। बीती रात करीब सात बजे पूरा कोच हिलने लगा। हम सब नीचे गिर गए। हमको ट्रेन के बेपटरी पर होने की सूचना मिली लेकिन अहसास नहीं था कि इतना बड़ा हादसा हो चुका है। ट्रेन में आग नहीं लग जाए इसलिए हम चिल्लाते हुए बाहर भागे। हमारी कोच से आगे के सभी कोच चूर-चूर हो गए थे। कुछ कोच पास की दूसरी ट्रेन से टकरा गए थे। दुर्घटनाग्रस्त यात्रियों की चीख-पुकार दिल दहला देने वाली थी। वहां खड़ा रहना बड़ा डरावना भी था और हम कुछ करने की िस्थति में भी नहीं थे। इसलिए हम तुरंत वहां से भुवनेश्वर के लिए रवाना हो गए। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसी घटना होगी।