अस्पताल सूत्रों के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण को मात देने वाला दम्पती चेन्नई का पोरुर निवासी है। इनमें पति की उम्र ७४ और पत्नी की ६९ साल है। दोनों ने अस्पताल में १४ दिन पूरे संयम और अनुशासन के साथ बिताए। इनमें ठीक होने का जज्बा, साहस और इच्छाशक्ति थी जो आखिर में रंग लाई।
बुजुर्ग दम्पती अमरीका से वाया सिंगापुर १२ मार्च को चेन्नई आया। सिंगापुर में उनके रिश्तेदार भी कोरोना वायरस की चपेट में थे। चेन्नई एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के बाद दम्पती को स्टेनली सरकारी अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया।
नहीं दिखा खौफ
स्टेनली सरकारी अस्पताल आइसोलेशन वार्ड के नोडल अधिकारी डा. रवि ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि इलाज के दौरान इस दम्पती के चेहरे पर कभी भी कोरोना का खौफ नहीं दिखाई दिया। उनकी दिन में तीन से चार बार शारीरिक जांच होती थी। जांच के वक्त हर बार वे नर्स, स्टाफ और प्रोफेसरों से हंसकर बात करते थे। उनके चेहरे पर मुस्कान रहती थी। उन्हें मोबाइल ऑपरेट करने की अनुमति थी। वे दिनभर सोशल मीडिया में व्यस्त रहते थे और मनोरंजन करते। लेकिन दोनों ने कभी डाक्टरों से यह नहीं पूछा कि वे कब ठीक होंगे? दअरसल उनको पूरा विश्वास था कि वे ठीक हो जाएंगे।
साधरण इलाज से हुए स्वस्थ
बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता युवाओं से कम होती है, इसलिए उन पर कोरोना वायरस का असर अधिक देखा गया है। लेकिन स्टेनली अस्पताल में इस दम्पती को न कोई खास दवा दी गई और न ही वेंटिलेटर पर रखा गया। नोडल अधिकारी डा. रवि ने बताया कि उनको एंटी रिट्रोवायरल ड्रग और एंटी बायोटिक दवाई दी गई जिससे वे स्वस्थ हो गए। साथ ही विटामिन की दवाइयां भी दी गईं।
दोनों को डायबिटीज व हायपरटेंशन
डा. रवि ने बताया कि बजुर्ग दम्पती को डायबिटीज और हायपरटेंशन की शिकायत थी। उनका इलाज ५ सदस्यों वाली डॉक्टर की टीम ने किया। इस टीम ने दोनों पर 24 घंटे नजर रखी। शरीर का तापमान नापने से लेकर उनकी हर गतिविधियों को रेकॉर्ड किया। उनकी डायबिटीज और हायपरटेंशन के कारण सुबह शाम उनका परीक्षण किया जाता था।
कभी परेशान नहीं हुए
अमरीका में उनके रिश्तेदारों के सिवाय बुजुर्ग दम्पती को आइसोलेशन वार्ड में और कोई चिंता नहीं थी। अपनी बीमारी की भी नहीं। उनका उपचार करने वाले एक डॉक्टर के अनुसार वे डॉक्टरों व स्टाफ से खुलकर बात करते थे। सामान्य तौर पर ऐसी स्थिति में मरीज खाना-पीना छोड़ देता है, लेकिन वे नाश्ता, दोपहर का भोजन व रात का खाना आराम से खाते थे।
उन्होंने कभी दवा खाने से इनकार नहीं किया। दम्पती मूल रूप से कर्नाटक का रहने वाला है लेकिन बाद में चेन्नई में बस गए। दोनों को सुबह दोपहर और रात को हाइजीन खाना दिया गया। उन्हें दक्षिण भारतीय भोजन ही परोसा जाता था। 1४ दिन तक आइसोलेशन वार्ड में रहे इन मरीजों का ट्रीटमेंट दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप था। अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती सभी मरीजों पर स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव की निगरानी रही। दोनों नियमित रूप से मरीजों के स्वास्थ्य का हाल-चाल पूछते थे और मरीज की पूरी देखभाल करने के निर्देश देते थे।