तमिलनाडु में बिना आईडी कार्ड के ट्रांसजेंडरों को कोविड-19 नकद राहत दी जाएगी
तमिलनाडु में बिना आईडी कार्ड के ट्रांसजेंडरों को कोविड-19 नकद राहत दी जाएगी
चेन्नई. तमिलनाडु सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय को बताया कि वह उन ट्रांसजेंडरों को भी कोविड-19 नकद राहत वितरित करेगी जिनके पास आईडी कार्ड नहीं हैं। कोविड-19 की पहली किस्त 2000 रुपए की नकद राहत जल्द ही दी जाएगी। राज्य सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय को यह जानकारी दी।
महाधिवक्ता आर षणमुगसुंदरम ने मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायाधीश सेंथिलकुमार राममूर्ति को बताया कि 8493 ट्रांसजेंडरों को नकद राहत के रूप में 2000 रुपए वितरित करने के लिए 3 जून को सरकारी आदेश जारी किया गया था। जिसमें जिनके पास राशन कार्ड नहीं थे लेकिन राज्य कल्याण बोर्ड के साथ पंजीकृत थे उन्हें राहत देने की बात कही गई थी।
ट्रांसजेंडर्स एक्टिविस्ट ग्रेस बानो ने उन ट्रांसजेंडरों को शामिल करने के लिए याचिका की लगाई थी जिनके पास आईडी कार्ड नहीं था। याचिका में राज्य सरकार से कोविड -19 नकद राहत वितरित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि तमिलनाडु में सैकड़ों ट्रांसजेंडरों के पास कोई पहचान पत्र नहीं हैं। इसके अलावा समुदाय के कई लोगों के पास इंटरनेट भी नहीं था। केंद्र सरकार के पोर्टल पर जाने और ट्रांसजेंडर कार्ड प्राप्त करने के लिए आवेदन करने की क्षमता नहीं थी।
वैक्सीन के लिए विशेष शिविर की मांग
याचिका में यह भी कहा गया है कि 2019 के ट्रांसजेंडरों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम और 2020 में इस अधिनियम के तहत बनाए गए वैधानिक नियमों के बाद से शायद ही किसी ट्रांसजेंडरों को पहचान पत्र जारी किया गया हो। याचिका में कहा गया है कि राज्य में 50,000 से अधिक ट्रांसजेंडर हैं। हालांकि सरकारी आंकड़ों में केवल 11,449 ट्रांसजेंडर ही है। जिनमें से 2,541 को राशन कार्ड जारी किए गए थे। याचिका में राज्य सरकार से समुदाय के लोगों को वैक्सीन के लिए विशेष शिविर आयोजित करने के लिए भी कहा गया।
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