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चेन्नई

कोरोना काल में फायदेमन्द साबित हो रही साइकिल की सवारी

कोरोना काल में फायदेमन्द साबित हो रही साइकिल की सवारीसाइकिल सबसे सस्ता व सुरक्षित साधन, इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार भीआज विश्व साइकिल दिवस पर विशेष

चेन्नईJun 02, 2021 / 08:43 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

cycle

Ride a bicycle

चेन्नई. पिछले साल लॉकडाउन में हरियाणा से बिहार का करीब 1200 किमी का फासला साइकिल से तय कर अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर लाने वाली ज्योति साइकिल गर्ल के नाम से मशहूर हो गई थी। पिछले दिनों ज्योति के पिता मोहन पासवान का हार्ट अटैक से निधन हो गया। लेकिन ज्योति ने लॉकडाउन में जोश व हिम्मत के साथ अपने गृह क्षेत्र दरभंगा तक की साइकिल से यात्रा तय कर सबका ध्यान खींचा। ज्योति का घर दरभंगा के सिरहुल्ली गांव में है। ज्योति की तरह की जब पिछले साल लॉकडाउन लगा तो हजारों मजदूर साइकिलों पर अपने घरों को निकल पड़े थे। कोरोना काल में मजबूर लोगों की मदद के लिए भी कइयों ने साइकिल को सहारा बनाया।
अनेक फायदे, पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित
यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली द्वारा हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। साइकिल सबसे सस्ता वाहन है। इसके एक नहीं अनेक फायदे हैं। पेट्रोल की खपत नहीं होती। पर्यावरण दृष्टि से सुरक्षित है। एक्सरसाइज करने के लिए बेस्ट है। इम्युनिटी भी बढ़ती है। बचत की नजर से यह काफी अच्छा और सस्ता साधन है। देखा जाएं तो आज वक्त में युथ फीट और एक्सरसाइज के लिए साइकिल खरीद रहे हैं। साइकिल चलाने से दिमाग ज्यादा एक्टिव रहता है। ब्रेन पावर बढ़ता है। एक उम्र के बाद घुटने की समस्या नहीं हो इसलिए साइकिल रोज चलाना चाहिए। इससे किसी प्रकार के जोड़ों में दर्द नहीं होगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक साइकिल चलाने से इम्यून सिस्टम अच्छा तो होता है. साथ ही इम्यून सेल्स भी एक्टिव हो जाते हैं। इससे बीमारी का खतरा भी कम होता है।
कोई जमाने में साइकिल ही प्रमुख साधन
एक वक्त था जब साइकिल को परिवार में साधन का हिस्सा माना जाता था लेकिन अब यह सिर्फ एक्सरसाइज के तौर पर प्रयोग की जाती है। साइकिल का दौर 1960 से लेकर 1990 तक काफी अच्छा चला। इसके बाद समय परिवर्तित होता गया। आज एक्सरसाइज के साथ ही साइकिल का उपयोग एक एथलेटिक्स द्वारा भी किया जाता है। तमिलनाडु समेत कई राज्यों में स्कूलों में विद्यार्थियों को मुफ्त में साइकिलों का वितरण भी किया जाता है। इससे साइकिल चलाने की प्रवृत्ति बढ़ने के साथ ही पढ़ने के प्रति रुचि में भी इजाफा होता है।
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उम्र के अनुसार साइकिल का अलग-अलग महत्व
बचपन में हम गिरते-पड़ते साइकिल चलाना सीखते हैं। वह दिन हम कभी भूल नहीं सकते हैं। गिरने के बावजूद हमारा साइकिल चलाने का जोश कभी कम नहीं हुआ। उम्र के अनुसार साइकिल का भी अलग – अलग महत्व होता है। बचपन में साइकिल शौकिया तौर पर चलाते हैं। स्कूल जाने के लिए भी विद्यार्थी साइकिल काम में लेते हैं। तो कई लोग साइकिल से अपने काम पर जाते हैं। वक्त के साथ साइकिल की उपयोगिता भी बदल गई और महत्व भी बदल गया है।
भूपेन्द्र सिंह राजपुरोहित, बिजनसमैन, चेन्नई।
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