गौरतलब है कि ७ अगस्त को एम. करुणानिधि का लम्बी बीमारी के बाद कावेरी अस्पताल में निधन हो गया था। वे पचास साल तक पार्टी अध्यक्ष रहे। उनकी तबीयत बिगडऩे के बाद पार्टी का कार्यभार कार्यवाहक अध्यक्ष एम. के. स्टालिन संभाल रहे थे।
आठ अगस्त को मरीना तट स्थित अण्णा स्मारक में उनकी समाधि के बाद पार्टी महासचिव के. अन्बझगन ने कार्यसमिति की बैठक १४ अगस्त को बुलाए जाने की विज्ञप्ति जारी की थी। इसके साथ ही सुगबुगाहट शुरू हो गई कि बैठक में एम. के. स्टालिन की बतौर अध्यक्ष ताजपोशी तय कर दी जाएगी।
पार्टी के नेतृत्व परिवर्तन को लेकर प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट के बाद डीएमके नेताओं व कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति पैदा नहीं हो इसे ध्यान में रखते हुए स्वयं एम. के. स्टालिन ने कहा कि बैठक में केवल हमारे नेता एम. करुणानिधि को श्रद्धांजलि दी जाएगी।
गौरतलब है कि करुणानिधि ने कई बार स्टालिन को अपना राजनीतिक वारिस बताया था लेकिन उनके बड़े बेटे एम. के. अझगिरी की स्टालिन से प्रतिद्वंद्विता को लेकर कभी इसकी घोषणा नहीं की थी। डीएमके के समक्ष में अब सबसे बड़ी चुनौती पार्टी अध्यक्ष के नाम की घोषणा करना है। शायद स्टालिन पदासीन होने में जल्दबाजी नहीं करेंगे।