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चेन्नई

इ-कचरा रिसाइकिल से 50 अरब डालर की अर्थव्यवस्था के खुल सकते हैं द्वार

बेकार पड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और कम्पोनेंट के खरीदारों और विक्रेताओं को आपस में जोड़ने की पहल
— सेकेंड-हैंड ई-उपकरणों का बाजार बड़ा कर बढ़ सकेगा रोजगार

चेन्नईSep 20, 2021 / 03:58 pm

Santosh Tiwari

इ-कचरा रिसाइकिल से 50 अरब डालर की अर्थव्यवस्था के खुल सकते हैं द्वार

इ-कचरा रिसाइकिल से 50 अरब डालर की अर्थव्यवस्था के खुल सकते हैं द्वार

चेन्नई.

भारत के लिए भी ई-कचरा गंभीर होती समस्याओं में से एक है और सबसे अधिक ई-कचरा पैदा करने में हमारा देश दुनिया में तीसरे स्थान पर है। इतना ही नहीं, 2019 और 2020 के बीच भारतीयों ने 38 प्रतिशत अधिक ई-कचरा पैदा किया और इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि हमारे देश में सिर्फ 5 प्रतिशत ई-कचरे को जिम्मेदारी के साथ रिसाइकिल किया जाता है।
शोध बताते हैं कि वर्तमान में पूरी दुनिया में सालाना 53.6 मिलियन टन ई-कचरा पैदा होता है, जिसके अगले 16 वर्षों में दोगुना होने का अनुमान है। इन शोधों का यह भी अनुमान है कि पूरी दुनिया में इसका 85 प्रतिशत नष्ट हो रहा है। आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने सर्कुलर इकोनॉमी पर ध्यान केंद्रित रखते हुए ई-कचरा के क्षेत्र की कमी दूर करने का काम हाथों में लिया है जिसके परिणामस्वरूप 50 अरब डालर की अर्थव्यवस्था के द्वार खुल सकते हैं। यहां विकसित हो रहे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ई-सोर्स ई-कचरा निपटान के संगठित और असंगठित क्षेत्रों के बीच सेतु का काम करेगा। ई-सोर्स नामक इस पहल का नेतृत्व इंडो-जर्मन सेंटर फॉर सस्टेनेबिलिटी (आईजीसीएस) कर रहा है। आईजीसीएस टीम का यह दृढ़ विश्वास है कि ई-कचरे की समस्या दूर होगी यदि हम उपयोग हो गए और बेकार पड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और कम्पोनेंट के खरीदारों और विक्रेताओं को आपस में इस तरह जोड़ दें कि दोनों के हितों की रक्षा हो। इस पहल का मकसद उपभोग के बाद बाजार में जमा ई-कचरे का पता जानना और उनकी रिकवरी की व्यवस्था कर सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने में वेस्ट इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट को एक मुख्य संसाधन का रूप देना है।
इनका कहना है

इंडो-जर्मन सेंटर फॉर सस्टेनेबिलिटी, आईआईटी मद्रास के फैकल्टी मेम्बर प्रो. सुधीर चेल्लराजन ने कहा, आम तौर पर या तो कीमती धातु और अन्य महंगी सामग्री निकालने के लिए ई-कचरे को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया जाता है या फिर सीधे लैंडफिल में फेंक दिया जाता है। उनके दुबारा उपयोग और वैकल्पिक उपयोग पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। लेकिन रीसाइकिल करने की यह अवैज्ञानिक प्रक्रिया इस काम में लगे लोगों और हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

ई-कचरे की मरम्मत और पुनः उपयोग के अवसर बढ़ाने में सहायक होगा। यह शहर की परिधि में रहने वाले युवाओं और महिलाओं का कौशल बढ़ाएगा और उनके पेशाजन्य स्वास्थ्य और सुरक्षा में भी सुधार करेगा। साथ ही, कचरे के प्रवाह में विषाक्त पदार्थों का जाना कम करेगा और सस्ते, सेकेंड-हैंड ई-उपकरणों का बाजार बड़ा कर रोजगार भी बढ़ाएगा। स्वतंत्र रूप से व्यक्तिगत स्तर पर लोग इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेंट प्राप्त कर मरम्मत का रोजगार कर पाएंगे।

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