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आरामदायक नौकरियां अधिक पसंद, इस कारण घट रही सिविल, मैकेनिकल में रुचि

आरामदायक नौकरियां अधिक पसंद, इस कारण घट रही सिविल, मैकेनिकल में रुचि- मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन सेक्टर में रोजगार बढ़ रहा- कॉलेज की सीटें खाली होने के बावजूद

चेन्नईOct 01, 2021 / 09:50 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

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चेन्नई. भारत में निर्माण और विनिर्माण क्षेत्र तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन सिविल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए छात्रों की रूचि कम दिख रही है। तिमाही रोजगार सर्वेक्षण (अप्रेल से जून 2021) की पहली तिमाही की रिपोर्ट के अनुसार, आईटी, विनिर्माण और निर्माण सहित नौ क्षेत्रों में रोजगार में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि शिक्षाविदों का कहना है कि सिविल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की मांग हर साल कम हो रही है, यह चिंताजनक है।
2016 में तमिलनाडु के कॉलेजों में सिविल इंजीनियरिंग की 28,500 सीटों में से केवल 10,088 ही भरी गईं। मैकेनिकल इंजीनियरिंग की 42,406 सीटों में से सिर्फ 21,137 ही भरी गईं। 2017 में सिविल इंजीनियरिंग की 25,257 सीटों में से केवल 8,199 सीटें ही भरी गईं, जबकि मैकेनिकल स्ट्रीम में 38,353 सीटों में से सिर्फ 19,601 सीटें ही भरी गईं। 2020 में कॉलेजों को अपनी सिविल इंजीनियरिंग सीटों को भरने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। क्योंकि केवल 3,974 छात्र शामिल हुए, जबकि 16,944 सीटें उपलब्ध थीं। मैकेनिकल स्ट्रीम में, 29,354 सीटें उपलब्ध थीं, लेकिन केवल 8,179 छात्र ही शामिल हुए।
करियर सलाहकारों के अनुसार इस साल इन पारंपरिक इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए परिदृश्य बेहतर नहीं होगा क्योंकि कंप्यूटर विज्ञान और आईटी पाठ्यक्रमों का क्रेज जारी है। आईटी कंपनियां थोक में हायर करती हैं और उनकी वेतन संरचना निश्चित रूप से कोर मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की तुलना में बेहतर है। विशेषज्ञ सिविल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की घटती लोकप्रियता के विभिन्न कारण बताते हैं। कुछ का कहना है कि कम वेतन और इन क्षेत्रों में पर्याप्त रोजगार के अवसरों की कमी एक बाधा है। कुछ अन्य का कहना है कि पाठ्यक्रम पुराने हैं, और इसलिए स्नातकों में उद्योग के लिए आवश्यक कौशल की कमी है।
डिप्लोमा इंजीनियरों की भर्ती करना पसंद
सिविल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्नातकों को कॉलेज में ठीक से प्रशिक्षित नहीं किया जाता है। इन क्षेत्रों में नौकरियों की कोई कमी नहीं है। लेकिन वास्तविकता यह है कि कंपनियां औसत दर्जे के इंजीनियरिंग स्नातकों को काम पर रखने के बजाय डिप्लोमा इंजीनियरों की भर्ती करना पसंद करती हैं, जिनके पास अधिक क्षेत्र ज्ञान है, और कम वेतन लेते हैं।
पाठ्यक्रम को संशोधित करने की आवश्यकता
विशेषज्ञों का कहना है कि हमारे छात्रों को उद्योग के लिए अधिक रोजगार योग्य और प्रासंगिक बनाने के लिए राज्य में सिविल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम को संशोधित करने की तत्काल आवश्यकता है। जब ये क्षेत्र तेजी से ऑटोमेशन की ओर बढ़ रहे हैं, तो हमें अपने छात्रों को कंप्यूटिंग और कोडिंग में भी प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
आरामदायक नौकरियां पसंद
इस बीच उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि छात्र आजकल ऐसी नौकरियों को पसंद करते हैं जो उन्हें आरामदायक वातानुकूलित कार्यालयों से काम करने देती हैं। बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एक पदाधिकारी ने कहा, निर्माण क्षेत्र में एक सिविल इंजीनियर को साइट पर होना चाहिए और संचालन की निगरानी के लिए चिलचिलाती धूप में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, जो कई युवा नहीं चाहते हैं।

तमिलनाडु के कॉलेजों में सिविल इंजीनियरिंग
2016 में- 28,500 सीटों में से 10,088 ही भरी
2017 में – 25,257 सीटों में से 8,199 सीटें ही भरी
2020 में – 16944 सीटों में से 3974 सीटें ही भरी
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तमिलनाडु के कॉलेजों में मैकेनिकल इंजीनियरिंग
2016 में – 42,406 सीटों में से सिर्फ 21,137 ही भरी
2017 में – 38,353 सीटों में से सिर्फ 19,601 सीटें ही भरी
2020 में – 29353 सीटों में से 8179 भरी गई
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