इससे उसके गर्दन चेहरे व पेट पर गंभीर चोट आई। वह सहायता के लिए चिल्लाया। उसकी आवाज सुन कर आसपास के खेतों में काम कर रहे लोग दौड़ कर आए व तेंदुए को शोर मचा कर भगाया। सुन्दरम गंभीर रूप से जख्मी हो गया था। अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद सुन्दरम को कोयम्बत्तूर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। उल्लेखनीय है कि गर्मी का दौर शुरु होते ही नीलगिरी के जंगल में पानी की कमी हो जाती है। हालांकि वन विभाग का दावा है कि मानव व वन्यजीवों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए लागू कालीरू प्रोजेक्ट का सकारात्मक असर दिखाई देने लगा है। लेकिन इस तथ्य से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि वन्यजीवों के आबादी में आने का बड़ा कारण पेयजल हैं। गर्मियों के दौरान यह समस्या उभर कर सामने आती है। कोयम्बत्तूर सर्किल के वन संरक्षक एम. रामासुब्रहमण्यम कि माने तो जंगल में 105 वाटर टैंक बने हैं ।विभाग सप्ताह में एक बार इनमें पानी भरवाता है।