निर्वाचन आयोग सौ फीसदी मतदान का लक्ष्य हासिल करने के लिए विविध उपाय कर रहा है। मतदाता जागरूकता कार्यक्रमों के अलावा मतदाताओं को चुनाव केंद्रों के बारे में सहज जानकारी देने, नि:शक्त के अनुकूल मतदान केंद्रों की तैयारी, मतदान केंद्रों पर आवश्यक सुविधाएं देने जैसे उपाय किए गए हैं। आयोग द्वारा दूरदराज के पहाड़ी गांवों में मतदान केंद्र स्थापित करना इसी लक्ष्य के तहत है। ये ऐसे गांव हैं जहां आज तक पक्के मार्ग नहीं बनाए जा सके हैं। इन गांवों तक गधों व घोड़ों से ईवीएम पहुंचाए गए।
धर्मपुरी जिले के पेन्नागरम के निकट वड़वनहल्ली ग्राम पंचायत क्षेत्र के कोटूर, येरीमलै व अलकटू पहाड़ी गांवों के लोगों को चुनाव प्रक्रिया में शामिल करने की जुगत में वहां मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन गांवों में बड़ी संख्या में मतदाता बसे हैं। इन गांवों तक पहुंचने के लिए १४ किमी का पहाड़ी सफर तय करना होता है। तलहटी से गधे पर मतदान केंद्र के लिए जरूरी सभी सामग्री, वस्तुएं व उपकरण लादकर ले जाए गए।
गधों के मालिक चिन्नराज बताते हैं कि वे १९७० से चुनावी सामग्री की आवाजाही कर रहे हैं। उनके पांच गधों को चुनाव आयोग ने प्रतिदिन दो-दो हजार रुपए के भाड़े पर लिया है। चुनाव के बाद इन गधों से ही ईवीएम वापस आएंगे। इन पहाड़ी गांवों के चुनाव केंद्रों के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त हैं जिनकी निगरानी में ईवीएम की आवाजाही होती है। चुनाव के वक्त इस तरह चिन्नराज सामग्री का यातायात कर दो से तीन हजार रुपए कमा लेता है।
कोटूर गांव के मतदाता पचपन वर्षीय पी. मुनिअम्माल का कहना है कि हम प्रत्येक चुनाव में पक्की सड़क की मांग करते हैं लेकिन यह आज भी अधूरी है। हमारे गांव के मतदाता इस आस में फिर से मतदान को तैयार हैं कि नया सांसद उनकी मांग को पूरा करेगा।
ए. आनंदन नाम के ग्रामीण ने बताया कि पहले हमने मतदान के बहिष्कार का निर्णय किया था। फिर चुनाव अधिकारियों ने यकीन दिलाया कि चुनाव बाद सड़क का काम शुरू होगा। लिहाजा हमने यह निर्णय टाल दिया है। उनके गांव की आबादी १५०० के करीब है और लगभग ७०० से अधिक मतदाता है।