किसानों ने 3 कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं, की निरस्त करने की मांग
किसानों ने 3 कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं, की निरस्त करने की मांग
चेन्नई. किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा), किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर समझौते और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 का विरोध कर रहे हैं। तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन जोर पकड़ने लगा है। माकपा समेत कई राजनीतिक दल भी समर्थन में कूद गए हैं।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में किसानों के छोटे-छोटे समूहों में मास्क पहनकर और सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए विरोध प्रदर्शन किया गया। संगम राज्य के महासचिव पी षणमुगम ने देश भर में किसानों के साल भर के विरोध और नई दिल्ली आंदोलन के दौरान उनके बलिदान को याद करते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री ने हाल ही में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कृषक समुदाय के कल्याण के लिए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि स्टालिन को इन कानूनों के खिलाफ राज्य विधानसभा में जल्द ही एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए। तांबरम में षनमुगम के नेतृत्व में 15 लोग कानूनों की प्रतियां जलाने के लिए एकत्र हुए।
केन्द्र की निंदा
उन्होंने किसान विरोधी कानूनों को लागू करने के लिए केंद्र की निंदा करते हुए नारे लगाए और कानून की प्रतियां जला दीं। आनन-फानन में मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने पानी से भरी बाल्टी से आग पर काबू पाया। षनमुगम ने कहा कि हमारा विरोध 5 जून को हुआ है जिस दिन केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने 2020 में अध्यादेश जारी किया था।। यह शांतिपूर्ण था। एसोसिएशन के सदस्यों ने कोविड सुरक्षा मानदंडों को ध्यान में रखते हुए पूरे राज्य में आंदोलन किया। षणमुगम ने बताया कि तिरुवरुर, तंजावुर और नागपट्टिनम जैसे कुछ जिलों में भाकपा और माकपा ने हमें समर्थन दिया है।
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