संवर रही किसानों की तकदीर
अब बिचौलियों के चंगुल में नहीं फंसेंगे किसान-आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम-उत्पादक समूह के जरिए
Farmers script a success story
चेन्नई. किसान अब नए ट्रेंड पर हैं। उन्हें अब अपनी फसल का उचित दाम मिल रहा है। इससे वे खुश है। ऐसा किसानों के उत्पादक समूह से जुडऩे से संभव हो सका है। वेलूर जिले के वेट्टुवणम गांव के किसान दो साल पहले तक अपनी फसल नहीं बेच पाते थे और न ही उन्हें फसल के सही दाम मिल पाते थे। ऐसे में वे साल भर हाड़तोड़ मेहनत भी करते लेकिन नतीजा सिफर रहता था। जो कीमत व्यापारियों से मिल पाती, उन्हीं में संतोष करना पड़ता।
हो रही आय में बढ़ोतरी
लेकिन अब सौ सदस्यों के किसान उत्पादक समूह के माध्यम से न केवल किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सकी है बल्कि उन्हें फसल का सही दाम भी मिल पा रहा है। हर महीने वे 1600 लीटर मूंगफली का तेल एवं 750 किलो नारियल का तेल का उत्पादन करते हैं। किसानों ने अब खुद की इकाई स्थापित कर ली है। उनके पास कार्यशील पूंजी 3.4 लाख रुपए हैं। मासिक टर्नओवर चार लाख रुपए हो गया है। अब किसान अपने खुद के ब्रांडनेम से इसे कहीं भी बेच सकते हैं। अब किसानों को अपनी उपज के उत्पादन, संग्रहण व बिक्री से किसी तरह की कोई शिकायत भी नहीं है। वे बाजरा व इमली बेच रहे हैं।
बन रहे उद्यमी
ग्रुप के एक सदस्य वेंकटेशन कहते हैं, यहां के किसान भी उन दो लाख किसानों में शामिल हो चुके हैं जो किसान से उद्यमी बनने की राह पर है। उन्हें अब बिचौलियों का सामना नहीं करना पड़ता। वे खुद ही अपनी फसल को अपनी इच्छा के अनुसार बेच पा रहे हैं। किसान अपने ब्रांड की उपज बेच रहे हैं। इसकी मांग भी बढ़ रही है। किसान उत्पादन समूहों को सब्सिडी दी जाती है। ऐसी इकाइयों की स्थापना की ओर से 75 फीसदी राशि उपलब्ध कराई जा रही है। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में 242 ऐसी इकाइयां स्थापित हो चुकी है। अगले वित्तीय वर्ष तक चार सौ करने की योजना है। इसके तहत दाल मिल व अन्य तेल उत्पादन इकाइयां शामिल है। इसके लिए 29 इकाइयों पर काम चल रहा है। चार सौ इकाइयां स्थापित होने पर 3.6 लाख किसानों को लाभ मिलेगा।
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