प्रदर्शन में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। प्रदर्शन में शामिल होने के लिए तुदुर और आसपास के इलाकों के निवासी मछुआरे करीब दस किलोमीटर पैदल चलकर कुळितलै रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहां लोग रेलवे टै्रक पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस प्रदर्शन के कारण अनेक ट्रेनों का आवागमन प्रभावित हुआ। प्रदर्शन के दौरान मछुआरे राज्य के मुख्यमंत्री एडपाडी के. पलनीस्वामी और उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम से मिलने की मांग कर रहे थे।
प्रदर्शन की सूचना मिलते ही जिला पुलिस अधीक्षक एम. दुरै मय बल के मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर उनसे प्रदर्शन खत्म करने का आग्रह किया लेकिन मछुआर प्रदर्शन खत्म करने को राजी नहीं हुए। मछुआरों का कहना था कि पहले मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री क्षतिग्रस्त इलाकों के प्रभावित मछुआरों से आकर मिलें।
उन्होंने कहा कि केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन अपने मंत्रियों के साथ तटीय क्षेत्रों में डेरा डाल कर राहत कार्यो की समीक्षा करने में जुटे हैं, लेकिन तमिलनाडु में ऐसा कुछ भी नहीं किया जा रहा है।
रामेश्वरम जिले में भी प्रदर्शन
तमिलनाडु सरकार की तुलना में केरल सरकार द्वारा प्रभावित मछुआरों को बेहतर मुआवजा भी प्रदान किया जा रहा है। इसी बीच कन्याकुमारी के मछुआरों का समर्थन करते हुए रामेश्वरम जिले में भी लगभग ५०० मछुआरों ने बस टर्मिनस पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार से कन्याकुमारी जिले के लापता मछुआरों की तलाश में तेजी लाने और उनके परिजनों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की।
चक्रवात की चेतावनी से पहले ही समंदर में उतर चुके थे मछुआरे
मुख्यमंत्री एडपाडी के. पलनीस्वामी ने चक्रवात की मछुआरों को पूर्व सूचना नहीं दिए जाने के आरोपों पर स्पष्टीकरण देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी को लिखा हैकि ओखी चक्रवात से पहले ही कन्याकुमारी जिले के मछुआरे नौकाओं समेत मछली के शिकार के लिए समुद्र में उतर चुके थे।उन्होंने इस पत्र में लापता मछुआरों की खोज एवं बचाव के लिएकेन्द्र को आवश्यक मदद का आग्रह किया है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि मछुआरों को संभावित चक्रवाती तूफान ओखी के बारे में समय पर सूचना नहीं दी जा सकी, जिसके चलते मछुआरे गहरे समुद्र में मछली पकडऩे के लिए चले गए और अब तकउनमें से अधिकांश लापता हैं।पत्र में लिखा है कि तमिलनाडु में कन्याकुमारी सर्वाधिक प्रभावित जिलों में शुमार है। मछुआरों की एक बड़ी आबादी इसी जिले में निवास कर रही है।जहां के मछुआरे गहरे समुद्र में जाकर मछली पकड़ते हैं।
चक्रवाती तूफान ओखी के चलते इस जिले में भारी नुकसान पहुंचा है। कन्याकुमारी जिले में 5759 मोटरचालित तथा 1229 मशीनीकृत नावें हैं।रोज लगभग 6 00 मशीनीकृत नावें मछलियां पकडऩे के लिए गहरे समुद्र में उतरती हैं।रोजाना की तरह इस बार भी मछुआरे गहरे समुद्र में मछली पकडऩे के लिए नावों के साथउतर गए और इस दौरान चक्रवाती तूफान के बारे में उन तक कोई सूचना नहीं पहुंचाई जा सकी।जब तक चक्रवात के बारे में सूचना प्रसारित की जाती तब तक मछुआरे गहरे समुद्र में उतर चुके थे।
लापता मछुआरों की गणना कर रिपोर्ट सौंपेगी समिति
चेन्नई. मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ने ओखी चक्रवात की वजह से समंदर में लापता मछुआरों की गणना के लिए राजस्व प्रशासन आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। यहां सचिवालय परिसर में कन्याकुमारी जिले में चल रहे राहत व बचाव कार्य की समीक्षा करते हुए इस समिति के गठन की घोषणा की।आधिकारिक विज्ञप्ति में लापता मछुआरों और क्षतिग्रस्त नावों की गणना का कार्यजारी होने का दावा किया गया है।
व्यापक रूप से इस गणना को पूरा कर राजस्व प्रशासन आयुक्त की अध्यक्षता वाली अधिकारियों की समिति गणना रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।इस रिपोर्ट के आधार पर गुमशुदा मछुआरों को मृत मानते हुए वित्तीय मदद का वितरण किया जाएगा।
मछुआरा परिवारों को ढाई-ढाई हजार
मुख्यमंत्री ने ओखी चक्रवात से मारे गए मछुआरों के परिजनों को बीमा राशि के २ लाख रुपए समेत १० लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है।चक्रवात की वजह से आजीविका के लिहाज से अयोग्य हुए मछुआरों को नए रोजगार के लिए ५ लाख रुपए और घायलों को ५० हजार रुपए दिए जाएंगे। साथ ही दिसम्बर महीने में तूफान की वजह से मछली पकडऩे से महरूम कन्याकुमारी जिले के सभी मछुआरा परिवारों को ढाई-ढाई हजार रुपए दिए जाएंगे। लापता हुए मछुआरों के परिजनों को अग्रिम तौर पर ५ हजार रुपए की वित्तीय मदद दी जाएगी।