रामदास ने कहा एक तरफ मै इस बात के लिए खुश हूं कि सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के प्रवेश होने की संख्या में काफी वृद्धि हुई हैं वहीं दूसरी ओर जबरन प्रवेश शुल्क लेने की शिकायत से दुखी हूं। सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों का प्रवेश कराने वाले सभी अभिभावक अमीर नहीं होते हैं इसलिए उनसे 6 हजार तक प्रवेश शुल्क लेना अन्याय है। उन्होंने कहा कि कुछ स्कूलों ने दावा किया है कि वे अस्थाई शिक्षकों के भुगतान के लिए ही फीस वसूल रहे हैं। लेकिन सरकार उसके लिए कोष भी आवंटित कर रहा है। वर्तमान में लोग कोरोना की वजह से परेशान है और ऐसी परिस्थिति में उनसे फीस वसूलना सही नहीं है। स्थिति को गंभीरता से लेते हुए सरकार को मामले में हस्तक्षेप कर स्कूलों को सख्त आदेश देने चाहिए।