उनका संगठन चाहता है कि जो कैदी 10 साल से अधिक जेल में सजा काट चुका है। चाहे उसने कोई भी अपराध किया हो उसे तत्काल रिहा कर देना चाहिए…
प्रो. ने कहा कि सरकार को जेलों में उचित चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए। कोयम्बत्तूर. मानितेनेय मक्कल कंाची (एमएमके) ने राज्य सरकार से जेलों में 10 साल से अधिक समय से बंद कैदियों को रिहा करने की मांग की है। इस सम्बन्ध में एमएमके अध्यक्ष प्रो. एम एच जवाहिरुला ने पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि वे कई जेलों में कैदियों से मिले हैं। वहां के हालात देखे हैं। इस आधार पर उनका संगठन चाहता है कि जो कैदी 10 साल से अधिक जेल में सजा काट चुका है। चाहे उसने कोई भी अपराध किया हो उसे तत्काल रिहा कर देना चाहिए। राज्य सरकार को अनुच्छेद 16 1 के तहत यह अधिकार प्राप्त है। सरकार कई अवसरों पर ऐसा करती भी रही है। उन्होंने कहा कि वैसे भी जेल सुधारगृह से ज्यादा शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा के केन्द्र हैं। जेलों के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि एमजी आर जन्मशताब्दी वर्ष में १० साल वाले कैदियों को रिहा कर देना चाहिए।प्रो. ने कोयम्बत्तूर की सेन्ट्रल जेल में उम्रकैदी रिजवान की मौत का उल्लेख करते हुए कहा कि वह शनिवार रात बेहोश हुआ था। जेल प्रशासन रविवार सुबह उसे लेकर अस्पताल पहुंचा तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जेलों में उपचार तक कि पूरी व्यवस्था नहीं हैं। रिजवान जैसे मामले पहले भी सामने आते रहे हैं।उन्होंने कहा कि वह मिर्गी रोग से अधिक मानसिक रुप से परेशान था। एमएमके अध्यक्ष ने रिजवान के परिजनों को आर्थिक सहायता के रूप में 25 लाख रुपए व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का आग्रह किया।
प्रो. ने कहा कि सरकार को जेलों में उचित चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए। कोयम्बत्तूर. मानितेनेय मक्कल कंाची (एमएमके) ने राज्य सरकार से जेलों में 10 साल से अधिक समय से बंद कैदियों को रिहा करने की मांग की है। इस सम्बन्ध में एमएमके अध्यक्ष प्रो. एम एच जवाहिरुला ने पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि वे कई जेलों में कैदियों से मिले हैं। वहां के हालात देखे हैं। इस आधार पर उनका संगठन चाहता है कि जो कैदी 10 साल से अधिक जेल में सजा काट चुका है। चाहे उसने कोई भी अपराध किया हो उसे तत्काल रिहा कर देना चाहिए। राज्य सरकार को अनुच्छेद 16 1 के तहत यह अधिकार प्राप्त है। सरकार कई अवसरों पर ऐसा करती भी रही है। उन्होंने कहा कि वैसे भी जेल सुधारगृह से ज्यादा शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा के केन्द्र हैं। जेलों के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि एमजी आर जन्मशताब्दी वर्ष में १० साल वाले कैदियों को रिहा कर देना चाहिए।प्रो. ने कोयम्बत्तूर की सेन्ट्रल जेल में उम्रकैदी रिजवान की मौत का उल्लेख करते हुए कहा कि वह शनिवार रात बेहोश हुआ था। जेल प्रशासन रविवार सुबह उसे लेकर अस्पताल पहुंचा तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जेलों में उपचार तक कि पूरी व्यवस्था नहीं हैं। रिजवान जैसे मामले पहले भी सामने आते रहे हैं।उन्होंने कहा कि वह मिर्गी रोग से अधिक मानसिक रुप से परेशान था। एमएमके अध्यक्ष ने रिजवान के परिजनों को आर्थिक सहायता के रूप में 25 लाख रुपए व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का आग्रह किया।