न्यायाधीशों ने कहा कि अगर सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया है तो कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगी। लेकिन अगर दिन को रात में बदल दिया गया है तो कोर्ट इसे स्वीकार भी नहीं करेगी। अदालत ने पूर्व मंत्री का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलों पर जवाब देते हुए यह टिप्पणी की कि एक बार राज्य सरकार ने डीवीएसी की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया तो उसमें कुछ नहीं बचा है। बेंच ने कहा सरकार ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है, लेकिन सायद कोर्ट इसे स्वीकार ना करती।
यह मामला एनजीओ अर्रापोर इय्याक्कम द्वारा दायर याचिका से संबंधित है। अपनी याचिका में याचि ने चेन्नई और कोयम्बत्तूर निगमों की निविदाओं के आवंटन में भ्रष्टाचार के लिए वेलुमणि के खिलाफ एक विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा प्राथमिकी दर्ज कर जांच का आदेश देने की मांग की थी। इससे पहले याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता वी. सुरेश ने बताया कि याचिकाकर्ता ने डीवीएसी रिपोर्ट के खिलाफ कई काउंटर दायर किए हैं। चूंकि वह एक भौतिक सुनवाई में अपनी बात रखना चाहता था, इसलिए कोर्ट ने चार सप्ताह के लिए मामले को स्थगित कर दिया।