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चेन्नई

जीएसटी कौंसिल में मिले व्यापारियों को उचित प्रतिनिधित्व

जीएसटी कौंसिल में मिले व्यापारियों को उचित प्रतिनिधित्व – जीएसटी कर प्रणाली की समीक्षा एवं सरलीकरण की मांग – राजस्थान पत्रिका का वर्चुअल टॉक शो

चेन्नईDec 28, 2020 / 04:34 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

GST- patrika talk show

GST- patrika talk show

चेन्नई. व्यापारियों ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में नियम 86 बी को रोकने की मांग की है। इस नियम के तहत प्रत्येक व्यापारी जिसका मासिक कारोबार 50 लाख रुपये से ज़्यादा है, को अनिवार्य रूप से अपनी एक प्रतिशत जीएसटी देनदारी को नकद जमा कराना होगा। इस प्रावधान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए व्यापारियों ने इस नियम को तुरंत स्थगित करने की मांग की है। व्यापारियों का कहना है कि व्यापारियों से सलाह कर ही इसे लागू किया जाए।
राजस्थान पत्रिका चेन्नई की ओर से वर्चुअल ऑनलाइन टॉक शो में व्यापारियों एवं अन्य वर्ग के प्रतिनिधियों ने कुछ ऐसी ही राय दी। व्यापारियों ने मांग की है कि जीएसटी एवं आयकर में ऑडिट रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर, 2020 को भी तीन महीने के लिए आगे बढ़ाया जाए। व्यापारियों ने कहा कि एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठकर जीएसटी कर प्रणाली की संपूर्ण समीक्षा करनी चाहिए तथा कर प्रणाली को और सरलीकृत करना चाहिए।
नए नोटिफिकेशन के प्रावधानों से व्यापारी नाराज
केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी को लेकर पिछले सप्ताह जारी एक नोटिफिकेशन के प्रावधानों से व्यापारी नाराज हैं। इन प्रावधानों को वापस लेने का निवेदन किया है। व्यापारियों का कहना है कि पहले से ही नकदी का सामना कर रहे ट्रेडर्स का इससे और संकट बढ़ जाएगा। इन प्रावधानों में एक महीने में 50 लाख रुपये से अधिक की बिक्री करने वाले व्यापारी को उसके पास उपलब्ध इनपुट टैक्स क्रेडिट के 99 पर्सेंट की लिमिट तय कर दिया गया है। अब सप्लायर की ओर से इनवॉयस न जमा करने पर जीएसटीआर -2 बी में उपलब्ध क्रेडिट के क्लेम को 10 पर्सेंट से घटाकर 5 पर्सेंट कर दिया गया है। इसके साथ ही सीजीएसटी रूल्स के तहत ई-वे बिल की वैधता की अवधि घटा दी गई है। पहले एक दिन में यह 100 किलोमीटर तक वैध था, जिसे अब बढ़ा कर 200 किलोमीटर कर दिया गया है। इससे ई वे बिल की वैधता की अवधि घट गई है। पहले यदि 600 किलोमीटर दूर माल भेजना था तो जीएसटी का ई वे बिल छह दिन के लिए वैलिड होता था। अब यह तीन दिन के लिए ही वैलिड है। ऐसे में यदि कहीं धरना प्रदर्शन हो जाए, रास्ता डाइवर्ट हो या जाम हो तो करोबारी का ई वे बिल रास्ते में ही खत्म हो जाएगा।
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व्यवसाय की योजना बनाएं
जो व्यापारी अपने वित्त का प्रबंधन करने और अपने व्यवसाय को प्रभावी ढंग से चलाने में विफल रहेंगे, वे जीएसटी के तहत रिकवर नहीं कर पाएंगे। जीएसटी के कारण अपने बकाया भुगतान करने में एक महीने का डिफ़ॉल्ट भी होगा, जिसके परिणामस्वरूप इनपुट जीएसटी प्रतिबंधों के कारण अपने ग्राहकों द्वारा एक विक्रेता के रूप में सूचीबद्ध ब्लैक मिल जाएगा और इस तरह उनके व्यापार स्थिरता या अस्तित्व के लिए एक गंभीर खतरा पैदा होगा। विकास के साथ तालमेल रखने के लिए 3 सर्वश्रेष्ठ व्यावसायिक चीजों को अपनाना होगा। इसमें विभिन्न इनपुट / आउटपुट टैक्स सामंजस्य पर ध्यान केंद्रित करने वाली एक समर्पित टीम की स्थापना करें। अयोग्य / अवरुद्ध इनपुट टैक्स क्रेडिट के कारण संभावित आकस्मिकताओं के लिए अतिरिक्त कार्यशील पूंजी के साथ व्यवसाय की योजना बनाएं और सुसज्जित करें औऱ वैधानिक सामंजस्य और अनुपालन के लिए व्यावसायिक प्रक्रिया स्वचालन उपकरण और अनुप्रयोगों में निवेश करें।
– अमित पी. नाहर, लीडिंग बिजनस कोच, चेन्नई।
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सरकार को व्यापारियों की चिंता नहीं
जीएसटी में लगातार होते बदलावों से व्यवसायी ज्यादा परेशान हो रहा है। एक बदलाव ढंग से समझते ही नहीं है कि दूसरे बदलाव आ जाते है। नए नियमों से चालू पूंजी पर दवाब बढता जा रहा है। पहले से कोरोनाकाल में पूंजी की कमी है। ऊपर से नए नियमों से और दवाब बढेगा। जीएसटी सरलीकरण की जगह और जटिल होती जा रही है। जीएसटी कौंसिल में जब तक व्यापारी बंधुऔं को प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा तब अधिकारी अपनी मनमर्जी थोपते रहेंगे। सरकार सिर्फ अपने राजस्व के प्रति चिन्तित है। लगता है सरकार को व्यापारियों की चिन्ता तनिक भी नहीं है।
– सुरेन्द्र व्यास, बिजनेसमैन, चेन्नई।
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जीएसटी नियमों को सरल बनाएं
इन प्रावधानों से पहले से ही नकदी की किल्लत झेल रहे व्यापारियों की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। वैश्विक महामारी के इस दौर में छोटे और मंझोले कारोबारी पहले ही बड़े नुकसान का सामना कर रहे हैं और लाखों कारोबारियों के लिए व्यापार में बने रहना भी लगातार मुश्किल हो रहा है। इसके बावजूद जीएसटी काउंसिल नियमों को और सख्त बनाकर ईमानदार व्यापारियों के लिए हालात खराब कर रही है।
– लालेश कांकरियां, बिजनेसमैन, चेन्नई।
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रिटेलर्स व ट्रेडर्स को मिले राहत
कोरोना पर काबू पाने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बाद सरकार ने बहुत से सेक्टर्स के लिए राहत पैकेज की घोषणा की थी। लेकिन, रिटेलर्स और ट्रेडर्स को राहत देने के लिए सरकार की तरफ से अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई जारी रखने के लिए व्यापारियों की ओर से की गई कोशिशों की प्रशंसा की थी, पर इन्हें सरकारी प्रोत्साहन के रूप में कुछ भी नहीं मिला।
– महेश चन्द्र सिंघल, गारमेन्ट व्यापारी, चेन्नई।
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