सरकार ने आर्थिक अपराध शाखा की आइडल विंग से इन मामलों की जांच सीबीआइ के हवाले कर दी थी। सरकार का तर्क था कि चोरी व तस्करी के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले है इसलिए सीबीआइ जैसी केंद्रीय जांच एजेंसी की पड़ताल ही प्रभावी रहेगी।
सरकार के इस आदेश को निरस्त करने की मांग को करते एडवोकेट एलिफेंट गजेंद्रन ने उच्च न्यायालय में याचिका लगाई। न्यायालय की विशेष पीठ ने केस सीबीआइ को अंतरित करने के फैसले पर अंतरिम रोक लगाई थी।
इस याचिका पर न्यायाधीश आर. महादेवन व न्यायाधीश आदिकेशवलु ने सुनवाई की। न्यायिक पीठ ने कहा कि मूर्ति चोरी व तस्करी मामलों की जांच सीबीआइ से कराने संबंधी दस्तावेज अदालत में दाखिल किए जाएं।
सरकार की ओर से बताया गया कि ये दस्तावेज केंद्र सरकार व प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए है। इसलिए कोर्ट में बुधवार को पेश कर दिए जाएंगे। साथ ही यह भी कहा कि कुंभकोणम के मंदिरों में हुई चोरियों की जांच आईजी पोन माणिकवेल की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। जबकि विदेशों में हुई तस्करी के प्रकरणों की जांच ही सीबीआइ के हवाले की गई है।
सरकार की दलील जानने के बाद न्यायालय ने सीबीआइ से इस मामले में उसकी राय मांगी। सीबीआइ को २४ सितम्बर तक जवाब देने का नोटिस जारी करते हुए सुनवाई मुल्तवी कर दी गई।
सरकार की ओर से बताया गया कि ये दस्तावेज केंद्र सरकार व प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए है। इसलिए कोर्ट में बुधवार को पेश कर दिए जाएंगे। साथ ही यह भी कहा कि कुंभकोणम के मंदिरों में हुई चोरियों की जांच आईजी पोन माणिकवेल की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। जबकि विदेशों में हुई तस्करी के प्रकरणों की जांच ही सीबीआइ के हवाले की गई है।