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चेन्नई

कितना सुरक्षित महसूस करती है महिलाएं

– अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष

चेन्नईMar 08, 2019 / 04:43 pm

PURUSHOTTAM REDDY

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कितना सुरक्षित महसूस करती है महिलाएं

चेन्नई. तमिलनाडु महिला सुरक्षा के मामले में 2017 के आंकड़ों के हिसाब से देश में 18वें नंबर पर है। दक्षिणी क्षेत्र में सदियों तक रही मातृसत्तात्मक संस्कृति के कारण ही यह संभव हुआ है। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर फिर एक बार यह सवाल उठता है कि क्या हमारा शहर स्त्री सम्मान की अपनी प्राचीन परंपरा को संभालकर रख पाया है? वैसे महिलाओं पर होने वाले अपराधों के बारे में जारी सरकारी आकंड़ों में पिछले सालों में कमी आई है।
2014 से जून 2017 तक, बलात्कार, दहेज हत्या, छेड़छाड़, यौन उत्पीडऩ, घरेलू हिंसा और महिलाओं और लड़कियों के अपहरण जैसे अपराधों की दर में धीरे-धीरे कमी आई है। राज्य अपराध ब्यूरो द्वारा जारी अपराधों के ग्राफ में महिलाओं के प्रति अपराध में गिरावट इस बात के संकेत देते हैं कि शहर में महिलाएं सुरक्षित हैं। शहरों के आंकड़ों में 2014 में कुल मामलों की संख्या 5,479 थी जो जून 2017 तक घटकर 1,735 रह गई। चेन्नई मेट्रो सिटी, अन्य मेट्रो सिटीज यानी महानगरों की तुलना में महिलाओं को अधिक सुरक्षित लगती है।
यहां लोकल बसों में महिलाओं के साथ सम्मान से पेश आने और महिला यात्रियों के लिए अलग सीटों की व्यवस्था, यहां की संस्कृति में बसे संस्कारों को दर्शाती है। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय जे. जयललिता ने भी राज्य में महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए थे। लोकल ट्रेन और बसों में देर रात महिला यात्री की सुरक्षा के मद्देनजर एक पुलिस वाले के तैनात रहने की व्यवस्था भी उनमें से एक थी।
चेन्नई सिटी पुलिस के एक अधिकारी ने पूरी सज्जनता के साथ इसका श्रेय शहर में चल रही बेहतर पुलिसिया व्यवस्था को दिया। उनका कहना था कि पुलिस ने महिला सशक्तिकरण को प्रमुखता दी है और झुग्गी झोपड़ी या स्लम एरिये में पेट्रोलिंग बढ़ाकर ऐसे मामलों में हस्तक्षेप किया है, जहां दहेज हत्या, घरेलू हिंसा और यौन उत्पीडऩ के मामले आमतौर पर देखे जाते हैं।
महिला सुरक्षा में चेन्नई अग्रणी
शहर में जीविकोपार्जन के सिलसिले में देश के अलग अलग हिस्सों से आकर बसी महिलाओं ने चेन्नई को महिला सुरक्षा के मामले में अग्रणी शहर बताया। इस शहर में रात के समय घर से बाहर निकलने में किसी प्रकार का भय नहीं लगता।
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पिछले 8 साल से उत्तरप्रदेश से चेन्नई में आकर बसी ज्योति गोयल का कहना था कि अगर सरकारी आकंड़ों के अलहदा चेन्नई को महिलाओं और बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित शहरों में से एक कहा जाता है, लेकिन फिर भी यहां पिछले कुछ समय से हो रही घटनाएं चिंता का विषय है। हाल हीें घटी घटनाओं में उनके कथित प्रेमियों के किए गए हमले, तेजाब हमले, घर में सो रही बुजुर्ग महिला के साथ हो या अपार्टमेंट में रहने वाली बच्ची के साथ दुराचार, इन आंकड़ों से अलग सच है। हमें अभी चेतना होगा और अपने आसपास हो रही ऐसी घटनाओं में दखल शुरू करना होगा।
महाराष्ट्र से अपनी पढ़ाई पूरी कर चेन्नई में पिछले 11 सालों से बसी सुलभ गोयल ने बताया कि शहर में किसी तरह का भय नहीं लगता। पिछले 11 सालों में शहर में बहुत से बदलाव आए हैं पर यहां महिलाएं आज भी उतनी ही सुरक्षित हैं जितनी पहले हुआ करती थी। इसका कारण यहां के लोगों का परंपरा का पालन करना है। शायद इसलिए यहां नई पीढ़ी के खुलेपन को आसानी से स्वीकार नहीं किया जाता।
मध्यप्रदेश के इंदौर से आकर 17 साल से चेन्नई में बसने वाली शिल्पा रानाडे का कहना था कि शहर में इतने साल से रहने के कारण मुझे इससे प्यार हो गया है। यहां के लोगों में गर्मजोशी है। दूसरे मेट्रो सिटी की तुलना में मुझे हमारा शहर बहुत सुरक्षित लगता है। कामाकाजी महिलाओं की स्थिति के बारे में तो नहीं कहा जा सकता पर यहां देर से घर से निकलने में कोई परेशानी नहीं होती।
पिछले चार साल से चेन्नई में रहने वाली और बच्चों को ट्रोमा से उबर कर जीवन जीने में सहयोग करने वाली मनो चिकित्सक शालिनी का कहना था कि उन्हें आज के माहौल में किसी तरह की सुरक्षा महसूस नहीं होती। यहां दिन के उजाले में भी अपराध हो रहे हैं। इसके लिए महिलाओं का घर से बाहर निकलना भी जरूरी नहीं है।

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