पिछले 8 साल से उत्तरप्रदेश से चेन्नई में आकर बसी ज्योति गोयल का कहना था कि अगर सरकारी आकंड़ों के अलहदा चेन्नई को महिलाओं और बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित शहरों में से एक कहा जाता है, लेकिन फिर भी यहां पिछले कुछ समय से हो रही घटनाएं चिंता का विषय है। हाल हीें घटी घटनाओं में उनके कथित प्रेमियों के किए गए हमले, तेजाब हमले, घर में सो रही बुजुर्ग महिला के साथ हो या अपार्टमेंट में रहने वाली बच्ची के साथ दुराचार, इन आंकड़ों से अलग सच है। हमें अभी चेतना होगा और अपने आसपास हो रही ऐसी घटनाओं में दखल शुरू करना होगा।
महाराष्ट्र से अपनी पढ़ाई पूरी कर चेन्नई में पिछले 11 सालों से बसी सुलभ गोयल ने बताया कि शहर में किसी तरह का भय नहीं लगता। पिछले 11 सालों में शहर में बहुत से बदलाव आए हैं पर यहां महिलाएं आज भी उतनी ही सुरक्षित हैं जितनी पहले हुआ करती थी। इसका कारण यहां के लोगों का परंपरा का पालन करना है। शायद इसलिए यहां नई पीढ़ी के खुलेपन को आसानी से स्वीकार नहीं किया जाता।
मध्यप्रदेश के इंदौर से आकर 17 साल से चेन्नई में बसने वाली शिल्पा रानाडे का कहना था कि शहर में इतने साल से रहने के कारण मुझे इससे प्यार हो गया है। यहां के लोगों में गर्मजोशी है। दूसरे मेट्रो सिटी की तुलना में मुझे हमारा शहर बहुत सुरक्षित लगता है। कामाकाजी महिलाओं की स्थिति के बारे में तो नहीं कहा जा सकता पर यहां देर से घर से निकलने में कोई परेशानी नहीं होती।
पिछले चार साल से चेन्नई में रहने वाली और बच्चों को ट्रोमा से उबर कर जीवन जीने में सहयोग करने वाली मनो चिकित्सक शालिनी का कहना था कि उन्हें आज के माहौल में किसी तरह की सुरक्षा महसूस नहीं होती। यहां दिन के उजाले में भी अपराध हो रहे हैं। इसके लिए महिलाओं का घर से बाहर निकलना भी जरूरी नहीं है।