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चेन्नई

अब तटीय प्रबंधन पर विशेष ध्यान

जर्मनी के आरडब्ल्यूटीएच आचेन विश्वविद्यालय के प्रतिनिधिमंडल ने यहां आईआईटी-मद्रास (IIT Madras) का भ्रमण किया। कई दशकों से दोनों के बीच साझेदारी है। दोनों संस्थानों के प्रतिनिधियों ने विभिन्न विषयों पर बातचीत की और सहयोग को आगे बढ़ाने की वकालत पर बल दिया।

चेन्नईFeb 18, 2020 / 10:09 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

IIT Madras

IIT Madras

चेन्नई. जर्मनी के आरडब्ल्यूटीएच आचेन विश्वविद्यालय के प्रतिनिधिमंडल ने यहां आईआईटी-मद्रास का भ्रमण किया। कई दशकों से दोनों के बीच साझेदारी है। दोनों संस्थानों के प्रतिनिधियों ने विभिन्न विषयों पर बातचीत की और सहयोग को आगे बढ़ाने की वकालत पर बल दिया। इस सहयोग को बढ़ाने को लेकर कार्यशालाएं, चर्चाएं एवं अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जर्मनी के भारत में राजदूत वाल्टर जे. लिन्डनर ने कहा पर्यावरण संरक्षण, ग्लोबल वार्मिंग, संसाधनों की कमी का सीधा असर हमारी जनसंख्या पर पड़ता है।
समस्याओं के समाधान की दिशा में पहल

आईआईटी मद्रास जैसी संस्थाओं को इन समस्याओं के समाधान की दिशा में कोई पहल करनी चाहिए। जर्मनी पिछले साठ साल से इस संस्थान की सहभागी है। दोनों संस्थान इंडो-जर्मन विज्ञान एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सिरमौर बने हुए हैं। आने वाले वर्षों में भी यह साझेदारी एक मिसाल कायम करेगी। आज दोनों संस्थानों के विद्यार्थियों, फैकल्टी मेम्बर एवं स्टाफ के लिए यह पार्टनरशिप काफी फायदेमन्द साबित हो रही है।
इंडो-जर्मन सेन्टर में कई योजनाएं
आईआईटी-मद्रास के निदेशक प्रोफेसर भास्कर राममूर्ति ने कहा कि इंडो-जर्मन सेन्टर में कई योजनाएं चल रही हैं इनमें अपशिष्ट प्रबंधन, भूमि उपयोग सरीखी योजनाएं काफी उपयोगी है। अब जलवायु परिवर्तन के चलते तटीय प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। आईआईटी मद्रास ने 37 बड़े उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की है। इसके साथ ही हर साल एक हजार प्रोजेक्ट किए जा रहे हैं। इनमें 250 भारतीय कंपनियां एवं कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां रुचि दिखा रही है।
सहायता राशि स्वीकृत
प्रोफेसर उलरिच रूदिगर ने कहा जर्मनी के इस संस्थान में कई भारतीय विद्यार्थी अध्ययन कर चुके हैं। वर्ष 2016 में इंडो-जर्मन पार्टनरशिप के तहत यूजीसी की ओर सहायता राशि स्वीकृत की गई।

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