आंकड़ों से समझें भोजन की भयावहता
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया में एक तरफ 2.6 खरब डॉलर का 93 करोड़ टन भोजन हर साल बर्बाद हो रहा वहीं, दूसरी तरफ 69 करोड़ लोग हर दिन भूखे सोने को मजबूर हैं। इतने रुपयो से दुनिया के गरीब देशों के लिए भोजन और शिक्षा की व्यवस्था की की जा सकती है। 2030 तक यह संख्या 84 करोड़ पार हो जाएगी और भोजन की बर्बादी दोगुना होने की आशंका है। 2050 तक दुनियाभर के 2 अरब अतिरिक्त लोगों के भोजन के लिए गंभरता से सोचना जरूरी है अन्यथा स्थितियां विकराल होंगी।
रूस-यूक्रेन युद्ध ने बढ़ाया सुनियोजित संकट
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया के लोग इन दिनों खाने-पीने की चीजों की रिकॉर्ड महंगाई से जूझ रहे हैं। इंटरनेशनल पैनल ऑफ एक्सपट्र्स ऑन सस्टेनेबल फूड सिस्टम (आईपीईएस) २०२२ की रिपोर्ट के अनुसार अगर खतरों को रोका नहीं गया तो ऊंची कीमतें हमेशा के लिए हो जाएंगी और दुनिया के आधे देश “विनाशकारी सुनियोजित भोजन संकट की चपेट में आ सकते हैं। भारते ने खतरे को देखते हुए गेहूं निर्यात पर रोक लगा दी है। चीनी और चावल पर भी जल्द ही रोक लग सकती है।
भोजन की बर्बादी रोकने में दिखाई हिम्मत
– राजस्थान ब्रह्मभोज तो बिहार में समाज के बड़े भंडारों पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी।
– जोधपुर में जैन, माहेश्वरी और घांची समाज ने थालियों में ‘जूठा न छोड़ेंÓ संदेश लिखवाए।
– राजस्थान की प्रयास संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव पाल भोजन बचाने को मिशन चाला रहे।
– आईएएस अवनीश शरण ने 18 फरवरी 2022 को एक शादी में भोजन की बर्बादी की फोटो ट्विीट की।
– कोलकाता की एक महिला भाई की शादी में बचा भोजन बांटने रात में ही स्टेशन पहुंच गई।
– कोयम्बटूर में कई संस्थाएं जूठा भोजन न छोडऩे को लेकर अभियान चला रही हैं।