संगीत कलापूर्ण मंडल एवं धीरज निब्जिया द्वारा प्रस्तुत किया गया। माता पिता आदि परिवार के बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर बाल तपस्वियों ने अपने वक्तव्य का शुभारम्भ किया। 10 वर्षीय जैनम मनोज राठौड़ ने कहा कि यह तप गुरु कृपा का फल है, जो अपने गुरु को भगवान की तरह पूजता है उसको भवान्तर में भगवान, गुरु के रूप में मिलते है। 14 वर्षीय प्रथम महेन्द्र खींवसरा ने कहा कि तपस्या के प्रारम्भ में हमारी परीक्षा जरूर हुई लेकिन प्रभु से मत कहो कि समस्या विकट है, समस्या से कहो कि प्रभु निकट है। 11 वर्षीय निधि विकास राठौड़ ने कहा कि साधना करने के लिए खुराक नहीं खुमारी चाहिए।
13 वर्षीय प्राची विकास राठौड़ ने कहा कि बचपन से परिजनों ने संस्कारों का बीजारोपण किया उसकी फलश्रुति है कि हम छोटी उम्र में यह तप कर पाए। अंत में निशा मनोज राठौड़ ने कहा कि परिवार में एक दूसरे के सहयोग से सदस्यों मैं हिम्मत बढ़ती है और सभी का आभार प्रकट किया। विकास राठौड़ ने अनुमोदना के इस अवसर पर पधारे चेन्नई महानगर के श्री केसरवाड़ी तीर्थ के ट्रस्टी, नया मंदिर ट्रस्ट, जूना मंदिर ट्रस्ट, गुजराती वाड़ी ट्रस्ट, वेपेरी ट्रस्ट, किलपॉक ट्रस्ट, नवग्रह जिनालय ट्रस्ट, पाश्र्व पद्मावती गौशाला, धार्मिक पाठशाला, श्री तमिलनाड जैन महामण्डल, श्री चन्द्रप्रभु जैन सेवा मंडल आदि अनेक गणमान्य अतिथियों का अभिवादन किया।