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चेन्नई

Internet Shutdown : Worldwide उपचार से लेकर उपकार तक सभी होते प्रभावित

Internet Shutdown : भारत में प्रति घंटा नेटबंदी की बढ़ती जा रही लागत
आर्थिक क्रियाओं पर भी व्यापक असर
 

चेन्नईJun 29, 2022 / 02:52 pm

P S VIJAY RAGHAVAN

WEST BENGAL INTERNET  BAND-किसी की जॉब-पढ़ाई प्रभावित तो किसी को बिजनेस में नुकसान

WEST BENGAL INTERNET BAND-किसी की जॉब-पढ़ाई प्रभावित तो किसी को बिजनेस में नुकसान

Internet Shutdown : अग्निपथ और अब राजस्थान के उदयपुर में हुई खौफनाक हत्या की पृष्ठभूमि में जो हालात बने हैं उस पर काबू पाने के पहल कदम के रूप में इंटरनेट सेवा बंद करने का विकल्प अपनाया गया है। झूठे-भ्रामक समाचार और नफरत फैलाने वाली खबरों को वायरल होने से रोकने की दृष्टि से यह भले सही कदम हो लेकिन इसके आर्थिक, शैक्षणिक, नैदानिक सहित अन्य दुष्प्रभाव हैं जिनका विरोध किया जा रहा है। इंटरनेट बंदी का रोग भारत को नहीं समूचे विश्व का परेशान किए हुए है। संयुक्त राष्ट्र संघ समर्थित एक रिपोर्ट में दावा हुआ है कि इंटरनेट ‘शटडाउनÓ के पीछे जो भी मकसद रहा हो इससे करोड़ों लोग प्रभावित होते हैं।


लॉकडाउन के दौर में डिजिटल सेवाओं का उपयोग व्यापक हुआ। बैंकिंग, स्वास्थ्य, शिक्षा, लॉजिस्टिक्स से लेकर लगभग हर क्षेत्र में इंटरनेट आधारित इन सेवाओं ने जड़ें स्थापित कर ली। ग्लोबल विलेज की अवधारण में इंटरनेट विलेज शब्द जुड़ गया। ऐसे में अगर कुछ पल के लिए भी इंटरनेट सेवा बंद होती है तो आभासी रूप से जुड़ चुकी इस दुनिया में भूचाल आ जाता है।


मानवाधिकार प्रभावित
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त की रिपोर्ट के अनुसार सरकारें ऑनलाइन संचार व सम्प्रेषण व्यवस्था को रोकने के लिए शटडाउन लागू करती हैं। इससे समाचारों की दुनिया सहित सभी ऑनलाइन कार्य प्रभावित होते हैं। सिविल सोसायटी मूवमेंट व चुनाव के वक्त सुरक्षा उपायों को लेकर इंटरनेट बंद किया जाता है। इसका न केवल आर्थिक प्रभाव सामने आता है बल्कि मानवीय अधिकारों का हनन भी दृष्टिगत होता है।


दुनियाभर में नेटबंदी
नेटबंदी के इतिहास की शुरुआत २०११ में इजिप्ट में हुई। डिजिटल स्वतंत्रता के क्षेत्र में कार्यरत अंतरर्राष्ट्रीय संस्था प्तकीपइटऑन की एक रिपोर्ट के अनुसार २०१६-२१ के बीच ७४ देशों ने ९३१ बार नेटबंदी की। इनमें एक दर्जन मुल्क ऐसे थे जहां इसकी बारम्बारता १० से ज्यादा बार थी। डिजिटल अधिकारों वाले एक समूह एक्ससे नाऊ की रिपोर्ट में दावा हुआ कि इस अवधि में भारत में १०६ बार नेटबंदी हुई जिसमें ८५ दफे जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बंद रहा। धारा ३७० के बाद तो घाटी में सात महीने तक इंटरनेट बंद रखा गया था। सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (एसएफएलसी), इंडिया इंटरनेट बंदी के खिलाफ में राज्य सरकारों को लिखता रहता है। उसके अनुसार मार्च २०२२ तक ही देश में नेटबंदी की २२ घटनाएं हो चुकी हैं।


नेटबंदी का प्रभाव
नेटबंदी का व्यापक असर आर्थिक, स्वास्थ्य और शैक्षणिक क्रियाओं पर पड़ता है। विश्व बैंक के एक अनुमान के अनुसार नेटबंदी के कारण फरवरी से दिसम्बर २०२१ के बीच म्यांमार को २.८ बिलीयन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।

टॉप१०वीपीएन की रिपोर्ट के अनुसार २०२० में २१ देशों में ८९२७ घंटे तक की इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं जिनमें भारत टॉप पर था। इस वजह से ४ बिलीयन डॉलर वैश्विक क्षति हुई जिसका तीन चौथाई हिस्सा भारत से था। इसी तरह २०१९ में भारत को इस वजह से १.३ बिलीयन डॉलर का नुकसान हुआ। अर्थ विशेषज्ञों के अनुसार भारत में इंटरनेट शटडाउन की लागत भी बढ़ती जा रही है। २०२० के ०.३१ डॉलर प्रति मिनट की तुलना में यह २०२१ में ०.५० प्रति मिनट हो गई।

नेटबंदी से पहले गहन विचार जरूरी
नेटबंदी पर हमने बिहार सरकार को एक विद्यार्थी द्वारा सुसाइड करने के बारे में लिखा था कि इंटरनेट बंद करने के निर्णय से पहले उसके दूरगामी प्रभाव पर गंभीरता से विचार किया जाए।
– प्रशांत सुगंधन, लीगल डायरेक्टर, एसएफएलसी

भारत और विश्व में नेटबंदी
वर्ष विश्व भारत
२०१८ १९६ १३४
२०१९ २१३ १०६
२०२० १५९ १२९
२०२१ १८२ ४५
(स्रोत : विश्व के आंकड़े प्तकीपइटऑन से और भारत के एसएफएलसी से)

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