लगता है चुनाव आयोग अपनी स्वतंत्रता को भूल चुका है: डीएमके
लगता है चुनाव आयोग अपनी स्वतंत्रता को भूल चुका है: डीएमके
चेन्नई. राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके ने बुधवार को सवाल किया कि 22 विपक्षी पार्टियों की मांग के बावजूद मतगणना प्रक्रिया के अंत में वीवीपीएटी की पर्चियों को गिनने के अपने रुख पर चुनाव आयोग का डटे रहना क्या लोकतांत्रिक कृत्य है? डीएमके कोषाध्यक्ष दुरैमुरुगन ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि उसके निर्णय ने एक स्वतंत्र संस्था और केंद्र सरकार के बीच के फर्क को खत्म कर दिया है, क्या यह लोकतंत्र है? क्या चुनाव आयोग सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही सुनेगा? उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने वीवीपीएटी की पर्चियों को मतगणना के अंत में गिनने का निर्णय किया है जबकि 22 विपक्षी पार्टियों ने आयोग से अनुरोध किया था कि इन्हें मतगणना की शुरुआत में ही गिना जाए।
उन्होंने कहा चुनाव आयोग और केंद्र सरकार के बीच का फर्क खत्म हो चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा चुनाव आयुक्त भूल चुके हैं कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है। उल्लेखनीय है कि विपक्षी पार्टियों ने मंगलवार को चुनाव आयोग का रुख करके मांग की थी कि ईवीएम में पड़े वोटों की गिनती से पहले वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती होनी चाहिए और यदि कोई समस्या आए या आंकड़ों का मिलान नहीं हो तो वीवीपीएटी की सारी पर्चियां गिनी जाएं।
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