23 साल से अधिक समय से पुडुचेरी सेंट्रल जेल में बंद मणिकंडन अब किसानी करने लगे हैं। एक जमाना था जब उनके नाम से लोग कांप जाते थे। अब हर सुबह वे पौधों को पोषित करने और नए पौधों की खेती करने के लिए जागते हैं। इससे उनकी मानसिकता में बड़ा बदलाव आया है। अब वे कुछ सम्मानजनक काम करना चाहते हैं और पारिवारिक जीवन जीना चाहते हैं। उनकी एक अच्छी जिंदगी जीने की इच्छा इतनी प्रबल रही कि वह पत्राचार के माध्यम से बीबीए पूरा करने में सफल रहे और 2020 में पैरोल पर रहते हुए शादी कर ली। वह अब एक बच्चे के पिता हैं। यह बदलाव केवल मणिकंदन में ही नहीं हुआ 23 साल से अधिक समय से जेल में बंद करुणा को भी अक्सर खेत में जानवरों के साथ समय बिताते हुए देखा जाता है।
कई कैदी कर रहे खेती कई आजीवन अपराधी प्राकृतिक खेती और पक्षियों के पालन में लगे हुए हैं। एसएएस के साथ जेल अधिकारियों ने 2.5 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती के माध्यम से 69 किस्मों की बहु-फसल खेती शुरू की। यह किसी भी जेल में अपनी तरह की पहली खेती की पहल थी। अब खेती की जमीन 4 एकड़ हो गई है।
दिया गया प्रशिक्षण एसएएस ने कैदियों को प्रशिक्षण दिया है और पहल को सफल बनाने के लिए उन्हें सामग्री, उपकरण, सिंचाई प्रणाली और बीज जैसे सभी संसाधन प्रदान किए हैं। जेल में पशु फार्म न केवल प्राकृतिक खेती में सहायता करता है बल्कि सामुदायिक जीवन के प्रति कैदियों के बीच सामाजिक और भावनात्मक दृष्टिकोण बनाने में भी मदद करता है। कौशल सीखने से उनकी रचनात्मक प्रतिभा सामने आ रही है और इससे वे खुश रहते हैं।
खेत और अन्य गतिविधियों से उत्पन्न आय का उपयोग कैदियों के बच्चों की शिक्षा, कौशल विकास के लिए किया जा रहा है। जेल में बंद 80 दोषियों में से अधिकांश सक्रिय रूप से किसी न किसी गतिविधि में शामिल हैं। लगभग 20 अपराधी अब प्राकृतिक खेती में कुशल हैं।