स्वास्थ्य सचिव ने आरोपों को नकारा है।जस्टिस आरमुगसामी जांच आयोग के अधिवक्ता मोहम्मद जफरउल्लाह खान ने पैनल में दायर एक पेटीशन में यह आरोप लगाया है। उनके आरोप का आधार कार्डियोथोरेसिक सर्जन के बयान की एक लाइन है कि अपोलो हॉस्पिटल में जयललिता का ठीक से इलाज नहीं किया गया था। बयान दर्ज कराने वाले चिकित्सक ने इस पर आपत्ति जताई कि 29 नवंबर को उनकी बात गलत तरीके से दर्ज की गई हालांकि जांच पैनल ने उनके विरोध पर ध्यान नहीं दिया। अपोलो अस्पताल ने भी शनिवार को अपने ब्यौरेवार जवाब में लगाए गए आरोपों पर आपत्ति जताते हुए सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
अधिवक्ता ने गुरुवार को दायर याचिका में स्वास्थ्य सचिव राधाकृष्णन और राव को नोटिस जारी करने का आग्रह किया। याचिका में, खान ने आयोग के सामने राधाकृष्णन के बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें जयललिता की गंभीर बीमारियों और अपोलो के इलाज की जानकारी थी फिर भी उन्होंने किसी भी कैबिनेट मंत्री को कोई रिपोर्ट नहीं भेजी। वे अस्पताल के प्रवक्ता की तरह आचरण कर रहे थे।
पूर्व मुख्य सचिव राव के बयान पर अधिवक्ता ने कहा कि सरकार को जयललिता के इलाज के बारे में जानकारी दे दी थी, जबकि मौजूदा चीफ सेक्रेटरी का कहना है कि राव की ओर से ऐसा कोई लेटर नहीं मिला था।
पूर्व मुख्य सचिव राममोहन राव ने इस आरोप के बारे में खुद को बेखबर बताया और कहा कि वे शहर में नहीं हैं।
अवांछित और बेबुनियाद आरोप : राधाकृष्णन
स्वास्थ्य सचिव जे. राधाकृष्णन ने उन पर लगे आरोपों को अवांछित, और बेबुनियाद बताया है। उनका कहना ह ैकि पैनल के अधिवक्ता की याचिका की प्रति अभी तक नहीं मिली है। अपोलो अस्पताल के साथ मिलीभगत और उनके प्रवक्ता के तौर पर कार्य करने का लांछन ना केवल गलत है बल्कि निंदनीय है। इस आरोप से उनके दिल-दिमाग और मनोदशा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। हकीकत यह है कि उन्होंने अपनी योग्यता के अनुरूप सर्वश्रेष्ठ तरीके से ड्यूटी निभाई है।
जयललिता के इलाज के दौरान विशेषज्ञ और अपोलो के चिकित्सक लाइन ऑफ ट्रीटमेंट के अनुसार कार्य कर रहे थे। उपचार के लिए विदेश ले जाने अथवा नहीं ले जाने का निर्णय पूर्णरूप से चिकित्सकीय था। इसके लिए उनके जैसे प्रशासकीय अधिकारी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। जयललिता के लिए किसी भी वक्त ऐसे उपचार अथवा चिकित्सा प्रक्रिया की मांग नहीं की गई थी जो देश में अनुपलब्ध है। बाद में यह भी बताया गया था कि जयललिता स्वयं विदेश में इलाज नहीं कराना चाहती। वे ४ जनवरी को जब जांच आयोग के समक्ष पेश होंगे तब सभी सवालों का व्यापक रूप से जवाब देंगे।