न्यायाधीश एमएम सुंदरेशन और जस्टिस आर. हेमलता की न्यायिक पीठ ने सरकार की पाबंदी पर की गई अपील पर सवाल किया था कि क्या गणेशोत्सव की छूट दी जा सकती है। सरकार ने एतराज जताया कि अगर अनुमति दी गई तो स्थिति हाथ से निकल सकती है। सरकार का यह फैसला कोविड-१९ संक्रमण को काबू में रखने के उद्देश्य से है।
न्यायिक पीठ ने याची गणपति सहित अन्य लोगों की जनहित याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि जनता को अपने धार्मिक अधिकारों को मनाने से नहीं रोका जा सकता जो कि लम्बे समय से परिपाटी रही है। बेंच ने हिन्दू संगठनों हिन्दू मुन्ननी और शिवसेना की की सहमति को स्वीकार किया कि वे शोभायात्रा नहीं निकालेंगे तथा सरकार का पूरा सहयोग करेंगे।
न्यायिक पीठ ने आदेश में कहा कि घरों में स्थापित गणेश प्रतिमा का विसर्जन जलस्रोतों में किया जा सकेगा। मरीना तट पर इसकी अनुमति नहीं होगी। विसर्जन के वक्त जुलूस नहीं निकलेगा। आम स्थलों पर गणेशोत्सव के तहत प्रतिमाएं नहीं रखी जाएंगी।