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चेन्नई

Tamilnadu: प्रेम व भाईचारा बढ़ाते हैं पर्व-त्योहार

राजस्थान पत्रिका (Rajasthan patrika) की मेजबानी में परिचर्चा, मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के पर्व को लेकर

चेन्नईJan 16, 2020 / 06:01 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

Makar Sankranti is celebrated as a very important festival in India

Makar Sankranti is celebrated as a very important festival in India

चेन्नई. हमारी भारतीय संस्कृति में त्योहारों, मेलों, उत्सवों व पर्वों का महत्वपूर्ण स्थान हैं। भारत में तो हर दिन कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। दरअसल ये त्योहार और मेले ही हैं जो हमारे जीवन में नवीन ऊर्जा का संचार करने के साथ परस्पर प्रेम और भाईचारे को बढाते हैं। मकर संक्रांति ऐसा ही पर्व हैं जो अंधकार से उजास की ओर बढने व अनेकता में एकता का संदेश देने वाला पर्व है। हर साल धनु से मकर राशि व दक्षिणायन से उत्तरायण में सूर्य के प्रवेश के साथ यह पर्व संपूर्ण भारत में अलग.अलग नामों से मनाया जाता है। मकर संक्रांति त्योहार की खासियत ये है कि ये हमारे देश का इकलौता ऐसा त्योहार है जिसे वैसे तो देश के हर एक राज्य में धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन अलग-अलग नाम से। संक्रांति को पंजाब में लोहड़ी, असम में भोगली बिहू, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडू में पोंगल और गुजरात में उत्तरायन के नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रांति के पर्व के अवसर पर राजस्थान पत्रिका की ओर से परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में राजस्थान के किशनलाल मोदी, हरियाणा के भिवानी के मनोज गोयल, पंजाब के जालंधर निवासी करणेश अग्रवाल, गुजरात के राजकोट के मनोज शाह तथा तमिलनाडु के मुरुगन व सेतुरामन ने हिस्सा लिया। परिचर्चा का संयोजन राजस्थान पत्रिका चेन्नई के मुख्य उप संपादक अशोकसिंह राजपुरोहित ने किया।
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देवता धरती पर अवतरित
जहाँ तक इस पर्व से जुड़ी विशेष बात है तो मकर संक्रांति पर्व को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर की ओर बढऩे लगता है जो ठंड के घटने का प्रतीक है। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण की अवधि देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन देवताओं की रात्रि है। वैदिक काल में उत्तरायण को देवयान तथा दक्षिणायन को पितृयान कहा जाता था। इस दिन यज्ञ में दिए गए द्रव्य को ग्रहण करने के लिए देवता धरती पर अवतरित होते हैं।
-किशनलाल मोदी, राजस्थान के हनुमानगढ़ निवासी।
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परम्परा काफी पुरानी
वैसे तो यह त्योहार हरियाणा में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। अगर कोई बड़ा बुजुर्ग किसी बात से नाराज होता है तो उसे इस दिन उपहार देकर मनाया जाता है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में दान करने के लिए मकर संक्रांति के दिन निभाई जाने वाली यह परंपरा काफी पुरानी है।
-मनोज गोयल, हरियाणा के भिवानी मूल के।
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यहां पतंगबाजी की अलग ही छटा
गुजरात में घर-घर लोग पतंगबाजी का मजा लेते हैं। इस दिन पूरा परिवार घर की छत पर जमा हो जाता है। गुजरात में मकर सक्रांति का पर्व महिलाओं के लिए भी मौज-मस्ती का दिन होता है। तिल्ली के लड्डू, मूंगफली की पट्टी बनाने के साथ वे पतंगबाजी में भी निपुण होती हैं। मकर संक्रांति गुजरात में इसे उत्तरायणश् पर्व कहा जाता है।
-मनोज शाह, गुजरात के राजकोट निवासी।
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प्रकृति को धन्यवाद देने के लिए
तमिलनाडु में भी पंजाब मूल के कई लोग निवास कर रहे हैं जो लोहिडी धूमधाम से मनाते हैं।
इस दिन शाम को खुली जगह में लोहडी जलाई जाती है। इस पवित्र अग्नि में गजक मूंगफली, तिल को अग्नि में डालते हुए उसकी परिक्रमा की जाती है। सभी खुशी के साथ पर्व को मनाते हैं।
-करणेश अग्रवाल, पंजाब के जालंधर मूल के। .
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पोंगल देवता को अर्पण
इस त्योहार में मिठाई बनाकर पोंगल देवता को अर्पित की जाती हैं। इसके बाद गाय को अर्पित कर परिवार में बांटी जाती हैं। इस दिन लोग अपने घरों के बाहर कोलम भी बनाते हैं। परिवार, मित्रों और दोस्तों के साथ पूजा कर एक दूसरे को उपहार देते हैं।
-मुरुगन, बिजनसमैन, तमिलनाडु निवासी।
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संस्कार बढ़ाते हैं पर्व
पोंगल का उत्सव 4 दिन तक चलता है। पहले दिन भोगी, दूसरे दिन सूर्य, तीसरे दिन मट्टू और चौथे दिन कन्या पोंगल मनाया जाता है। पहले दिन भोगी पोंगल में इन्द्रदेव की पूजा, दूसरे दिन सूर्यदेव की पूजा, तीसरे दिन को मट्टू अर्थात नंदी या बैल की पूजा और चौथे दिन कन्या की पूजा होती है जो काली मंदिर में बड़े धूमधाम से की जाती है।
-सेतुरामन, बिजनसमैन, तमिलनाडु निवासी।
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