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चेन्नई

तमिल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मैराथन का आयोजन

मैराथन का आयोजन का उद्देश्य तमिल कला, विरासत, लोककला, संस्कृति एवं परंपरा की महत्ता को लेकर जागरूरकता पैदा करना था

चेन्नईSep 03, 2018 / 05:48 pm

Santosh Tiwari

Marathon organized to promote Tamil culture

तमिल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मैराथन का आयोजन

चेन्नई. बेसंट नगर स्थित इलियट्स बीच पर रविवार को दुनिया भर में रहने वाले तमिल लोगों के लिए मैराथन का आयोजन किया गया। चेन्नई के अलावा भी यह स्थानों पर आयोजित किया गया। यह रन 3 किलोमीटर, 5 किलोमीटर तथा 10 किलोमीटर का था। चेन्नई में 2000 लोगों ने इसमें भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य जरूरतमंद लोगों तक पहुंचना है। इसके जरिए तमिल कला, विरासत, लोककला, संस्कृति एवं परंपरा की महत्ता को लेकर जागरूरकता पैदा करना था।
यह रन 3 किलोमीटर, 5 किलोमीटर तथा 10 किलोमीटर का था। इसके साथ ही राज्य के ग्रामीण विकास को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, खेल, स्वच्छता शामिल हैं। इस मैराथन से होने वाली कमाई सीधे ग्रामीण कल्याण व जरूरतमंद लोगों के लिए खर्च की जाएगी। इसका आयोजन आर.हेमंत और उनकी टीम ने इन्जीनियस 6 के बैनर तले किया है। प्रायोजकों से सेवाएं ली जाती हैं।

अनिता की स्मृति में बना पुस्तकालय

चेन्नई. नीट परीक्षा में फेल होने के बाद वर्ष २०१७ में एस. अनिता नामक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी। उसकी मौत के एक साल बाद परिजनों ने उसकी स्मृति में अरियालूर के कुझुमुर गांव में एक पुस्तकालय निर्माण कराया है।
अनिता की पहली पुण्यतिथि पर शनिवार को पुस्तकालय का उद्घाटन किया गया। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार ४५ लाख की कीमत से निर्मित इस पुस्तकालय का वीसीके नेता तोल तिरुमावलन और डी.के. अध्यक्ष के. वीरामणि ने उद्घाटन किया। विभिन्न राजनीतिक दलों और अन्य संगठनों द्वारा परिजनों को दी गई सहायता राशि से इसका निर्माण कराया गया है। पुस्तकालय में २५०० किताबें रखी गई हैं।
उद्घाटन के बाद संवाददाताओं से बातचीत में के. वीरामणि ने बताया कि आखिरी सांस तक अनिता ने नीट परीक्षा में छूट दिलाने की मांग की। लेकिन एक साल हो गए पर अब तक नीट से विद्यार्थियों को छूट नहीं मिल पाई है। केंद्र सरकार की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र को नीट को लेकर विद्यार्थियों की परेशानियों की चिंता नहीं है। बातचीत में तिरुमावलन ने कहा नीट की वजह से कई विद्यार्थियों की महत्वाकांक्षाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि अनिता दलित परिवार की थी। उसके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। १२वीं कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद भी वह नीट परीक्षा को पास करने में असफल रही थी। हालांकि नीट का विरोध करते हुए उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी लगाई थी। लेकिन कोर्ट ने २२ अगस्त २०१७ को राज्य सरकार को नीट के आधार पर ही मेडिकल में प्रवेश शुरू करने का आदेश दिया था। जिसके बाद अपनी असफलता के परिणाम स्वरूप उसने गत वर्ष १ सितंबर २०१७ को आत्महत्या कर ली थी।
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