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चेन्नई

निजी विद्यालयों को टक्कर दे रहा शहर का मिडिल स्कूल

इस विद्यालय की विशेषता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां विद्यार्थियों के लिए रंगीन एवं आकर्षक गणवेश तथा उन्नत एवं सुविधाजनक स्मार्ट क्लास

चेन्नईAug 12, 2017 / 10:57 pm

शंकर शर्मा

school

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तिरुचि. जहां एक तरफ देशभर के सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत को देखकर सरकार से लेकर आम आदमी तक परेशान है वहीं तिरुचि के तेन्नूर में सरकारी सहायता प्राप्त एक ऐसा मिडिल स्कूल भी है जिसे किसी भी मामले में मैट्रिकुलेशन एवं निजी विद्यालयों से कम नहीं आंका जा सकता।

इस विद्यालय की विशेषता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां विद्यार्थियों के लिए रंगीन एवं आकर्षक गणवेश तथा उन्नत एवं सुविधाजनक स्मार्ट क्लासरूम हैं।

सालों से मिल रहा है मुफ्त भोजन
इसके अलावा पिछले 11 सालों से यहां के विद्यार्थियों को मुफ्त नाश्ता भी मुहैया कराया जाता है। साल दर साल इस विद्यालय में विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए लोग यहां के छात्रों के नाश्ते का प्रायोजक बनने के लिए आगे आ रहे हैं। अपने अथवा परिवार के किसी सदस्य के जन्मदिन, शादी की सालगिरह सरीखे महत्वपूर्ण दिनों को यादगार बनाने के लिए लोग यहां के बच्चों को नाश्ता कराते हैं। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका पी. विमला ने बताया कि यहां पढऩे वाले अधिकांश विद्यार्थी या तो वंचित श्रेणी के हैं या फिर एकल अभिभावक की संतान हैं। उन्होंने कहा कि इन विद्यार्थियों के लिए मुफ्त नाश्ते का इंतजाम किया जाता है।

कर्मचारी उठाते हैं परिवहन का खर्च
विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए इन्होंने प्रोजेक्टर एवं कंप्यूटर के अलावा कॉम्पैक्ट **** भी स्कूल को दे रखा है। इन आधुनिक सुविधाओं की वजह से विद्यार्थियों को विषय को ठीक ढंग से समझने में काफी मदद मिलती है। प्राधानाध्यापिका समेत विद्यालय के कुल 7 कर्मचारी विद्यालय से एक किलोमीटर की परिधि में रहने वाले विद्यार्थियों के आने जाने की व्यवस्था के लिए 20 हजार रुपए प्रतिमाह परिवहन व्यय के रूप में खर्च करते हैं। प्राधानाध्यापिका ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि विद्यालय के स्वामित्व वाला वाहन हर रोज विद्यार्थियों को लाने एवं ले जाने का काम करता है। इसके खर्चे का वहन सभी कर्मचारी मिल जुल कर करते हैं।

50 से भी अधिक नियमित प्रायोजक
नाश्ते की वजह से स्कूल के सभी विद्यार्थी समय से विद्यालय आ जाते हैं न तो उनकी कक्षाएं छूटती हैं और ना ही उनकी पढ़ाई का नुकसान होता है। दरअसल शहर के 50 से भी अधिक ऐसे नियमित प्रायोजक हैं जो प्रधानाध्यापिका को फोन करके विद्यार्थियों के मुफ्त नाश्ते के इंतजाम में सहयोग देने के लिए पूछते रहते हैं। विमला ने बताया कि विद्यालय की ओर से इन प्रायोजकों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद का मेल भेजा जाता है इसके अलावा विद्यार्थी भी उनके सहयोग के लिए उनका धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। नाश्ते के अलावा स्कूल की कक्षाओं को स्मार्ट बनाने में भी शहर के ये प्रायोजक बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

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