आत्मविश्वास से लबरेज व मजबूत इरादों वाली
आज के दौर की मां आत्मनिर्भर व मजबूत है। आज की मां घर-परिवार के साथ बाहर का भी पूरा ध्यान रख लेती है। बच्चों को अच्छी शिक्षा एवं परवरिश में मां की अहम भूमिका रहती है। मां तो सब कुछ है। मां के बिना सब कुछ अधूरा सा लगता है। आज भी सबसे बड़ा रोल मां का ही होता है।
– बबिता बैद, अध्यक्ष, चंदनबाला महिला मंडल, नॉर्थ टाउन, पेरम्बुर, चेन्नई।
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परिवार को सिंचित करने में मां की प्रमुख भूमिका
मां से बढ़कर इस दुनिया में कोई नहीं है। चाहे किसी भी तरह की मुसीबत हो मां चट्टान बनकर खड़ी हो जाती है। मां की महिमा सबसे न्यारी है। वह अपने बच्चों को निडर बनाती है। उन्हें अनुशासित बनाती है। मां ही है जो परिवाह को एकजुटता सिखाती है। मां संस्कारों की जननी है। परिवार को सिंचित करने का काम करती है।
– अनिता सुराणा, चेन्नई।
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नहीं कर सकते किसी से तुलना
मां की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है। मां का उत्तरदायित्व निस्वार्थ होता है । बच्चों के लिए मां की भूमिका उनके जीवन में एक अहम स्थान रखती है। वह वह अपने बच्चों के लिए सब कुछ करने के लिए यानी बलिदान करने के लिए हमेशा तैयार रहती है। मां हमेशा अपने बच्चों के बारे में ही सोचती है और उनके खुशहाली के लिए उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए वह अपने जीवन में किस तरह सफल रहें खुश रहें बस यही हमेशा वह सोचती रहती है ।
– डॉ. मिथिलेश सिंह, सहायक प्रोफेसर (हिंदी), चेन्नई।
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बच्चों को अच्छे मार्गदर्शक की जरूरत
मां शब्द के उच्चारण के साथ ही वैसा लगता है जैसे सारी प्रकृति उसमें समा गई। मां अपने बच्चों को अच्छे से अच्छा लालन-पालन करती है। आज देख रहे हैं नई पीढी को पैसा कमाना तो सिखा रहे हैं लेकिन रिश्तों का मूल्य समझाना शायद भूलते जा रहे है। ऐसे परिवेश में हर मां की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बच्चों की अच्छी मार्गदर्शिका बने। बच्चों को रिश्तों का मूल्य, नैतिक जिम्मेदारी, धैर्य, संयम और त्याग का मूल्य बताएं। उनका मनोबल बढ़ाएं। आज के बच्चों को एक अच्छे मार्गदर्शक की अधिक जरूरत है।
– उर्मिला सराफ, अग्रवाल महिला मंडल, चेन्नई।
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मातृत्व से भरी होती है मां
मां शब्द अपने आप ही मातृत्व से भरा हुआ है। इसका अर्थ सिर्फ और सिर्फ ममता से है। आज के युग में मां की भूमिका दुगुनी हो गई है। तेजी से आते हुए नवीनीकरण को खुद स्वीकारते हुए आज के जमाने में मां बहुत ही प्रगतिशील और हर क्षेत्र में सक्षम है। आज हर जानकारी गुगल पर उपलब्ध है। ऐसे में उसे यह भी देखना है कि बच्चे के लिए कई उपयोगी है और क्या नहीं। यदि मां कार्य़शील है तो बच्चों को संस्कृति सिखाने का दायित्व उस पर है।
– सरिता खेमका, चेन्नई।
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