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चेन्नई

माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता…

माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता…- मदर्स डे पर विशेष

चेन्नईMay 08, 2021 / 09:01 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

mothers day

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चेन्नई. माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है माँ, माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है माँ। माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है माँ, माँ मरूथल में नदी या मीठा सा झरना है माँ। और तो माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता,और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता। तो मैं कला की ये पंक्तियाँ माँ के नाम करता हूँ, और दुनिया की सभी माताओं को प्रणाम करता हूँ। मशहूर कवि ओम व्यास की यह प्रसिद्ध कविता मां पर सटीक बैठती है। गौरतलब है कि सबसे पहले मदर्स डे मनाने की शुरुआत अमेरिका से हुई थी। अमेरिका में एक सामाजिक कार्यकर्ता थी, जिसका नाम एना जार्विस था और अपनी मां से बहुत प्यार करती थीं, यह कारण था कि उन्होंने न कभी शादी की और न कोई बच्चा पाला। मां की मौत होने के बाद प्यार जताने के लिए एना जार्विस ने मई माह के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में मनाने की शुरुआत की थी। फिर धीरे-धीरे कई देशों में मदर्स डे मनाया जाने लगा। अब दुनिया के अधिकांश देशों में मदर्स डे मनाया जाता है। मदर्स डे का इतिहास के बारे में कहा जाता है कि 9 मई 1914 को अमेरिकी प्रेसिडेंट वुड्रो विल्सन ने एक कानून पास किया था और इस कानून के मुताबिक हर वर्ष मई माह के हर दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया गया। इसके बाद ही मदर्स डे अमेरिका, भारत सहित कई दूसरे देशों में भी मनाया जाने लगा। मां शब्द के लिए दुनियाभर के साहित्य में बहुत कुछ लिखा गया है। मां ही दुनिया में ईश्वर द्वारा बनाई गई एक ऐसी कृति है, जो निस्वार्थ भाव में मरते दम तक अपने बच्चों पर प्यार लुटाती रहती है। मदर्स डे हर वर्ष मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। इस लिहाज से इस बार मदर्स डे 9 मई को मनाया जाएगा। मां और बच्चों का रिश्ता इस दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता है, जो बगैर किसी शर्त और बगैर किसी उम्मीद के साथ पूरा होता है। आइए जानते हैं मदर्स डे पर महिलाओं के विचार।
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आत्मविश्वास से लबरेज व मजबूत इरादों वाली
आज के दौर की मां आत्मनिर्भर व मजबूत है। आज की मां घर-परिवार के साथ बाहर का भी पूरा ध्यान रख लेती है। बच्चों को अच्छी शिक्षा एवं परवरिश में मां की अहम भूमिका रहती है। मां तो सब कुछ है। मां के बिना सब कुछ अधूरा सा लगता है। आज भी सबसे बड़ा रोल मां का ही होता है।
– बबिता बैद, अध्यक्ष, चंदनबाला महिला मंडल, नॉर्थ टाउन, पेरम्बुर, चेन्नई।
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परिवार को सिंचित करने में मां की प्रमुख भूमिका
मां से बढ़कर इस दुनिया में कोई नहीं है। चाहे किसी भी तरह की मुसीबत हो मां चट्टान बनकर खड़ी हो जाती है। मां की महिमा सबसे न्यारी है। वह अपने बच्चों को निडर बनाती है। उन्हें अनुशासित बनाती है। मां ही है जो परिवाह को एकजुटता सिखाती है। मां संस्कारों की जननी है। परिवार को सिंचित करने का काम करती है।
– अनिता सुराणा, चेन्नई।
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नहीं कर सकते किसी से तुलना
मां की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है। मां का उत्तरदायित्व निस्वार्थ होता है । बच्चों के लिए मां की भूमिका उनके जीवन में एक अहम स्थान रखती है। वह वह अपने बच्चों के लिए सब कुछ करने के लिए यानी बलिदान करने के लिए हमेशा तैयार रहती है। मां हमेशा अपने बच्चों के बारे में ही सोचती है और उनके खुशहाली के लिए उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए वह अपने जीवन में किस तरह सफल रहें खुश रहें बस यही हमेशा वह सोचती रहती है ।
– डॉ. मिथिलेश सिंह, सहायक प्रोफेसर (हिंदी), चेन्नई।
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बच्चों को अच्छे मार्गदर्शक की जरूरत
मां शब्द के उच्चारण के साथ ही वैसा लगता है जैसे सारी प्रकृति उसमें समा गई। मां अपने बच्चों को अच्छे से अच्छा लालन-पालन करती है। आज देख रहे हैं नई पीढी को पैसा कमाना तो सिखा रहे हैं लेकिन रिश्तों का मूल्य समझाना शायद भूलते जा रहे है। ऐसे परिवेश में हर मां की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बच्चों की अच्छी मार्गदर्शिका बने। बच्चों को रिश्तों का मूल्य, नैतिक जिम्मेदारी, धैर्य, संयम और त्याग का मूल्य बताएं। उनका मनोबल बढ़ाएं। आज के बच्चों को एक अच्छे मार्गदर्शक की अधिक जरूरत है।
– उर्मिला सराफ, अग्रवाल महिला मंडल, चेन्नई।
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मातृत्व से भरी होती है मां
मां शब्द अपने आप ही मातृत्व से भरा हुआ है। इसका अर्थ सिर्फ और सिर्फ ममता से है। आज के युग में मां की भूमिका दुगुनी हो गई है। तेजी से आते हुए नवीनीकरण को खुद स्वीकारते हुए आज के जमाने में मां बहुत ही प्रगतिशील और हर क्षेत्र में सक्षम है। आज हर जानकारी गुगल पर उपलब्ध है। ऐसे में उसे यह भी देखना है कि बच्चे के लिए कई उपयोगी है और क्या नहीं। यदि मां कार्य़शील है तो बच्चों को संस्कृति सिखाने का दायित्व उस पर है।
– सरिता खेमका, चेन्नई।
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