घटना के बाद राजेश को सरकारी जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। ट्रिब्यूनल ने यह पाया कि परिवहन विभाग की ओर से याचिका पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी गई। ट्रिब्यूनल ने प्रथम सूचना रिपोर्ट पर ध्यान दिया, जिसने मामले में एमटीसी बस चालक को आरोपी के रूप में दर्ज किया था और बस चालक द्वारा रैश ड्राइविंग का हवाला देते हुए प्रत्यक्षदर्शी के बयान दिया था।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि सरकारी अस्पताल द्वारा जारी किए गए पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि सड़क दुर्घटना में गहरी चोटें आने की वजह से व्यक्ति की मौत हुई है। ऐसी परिस्थिति में परिवहन निगम को पीडि़त परिजनों को मुआवजा देना होगा। घटना के दौरान व्यक्ति 22 साल का था और आईटी फर्म में कम्प्यूटर इंजीनियर के तौर पर कार्य करता था। मृतक की कम उम्र, उसकी भविष्य की संभावनाएं, उसके परिवार और अन्य कारकों के नुकसान को ध्यान में रखते हुए ट्रिब्यूनल ने परिवहन निगम को परिजनों के एकाउंट में दो महीने के अंदर पैसा जमा करने का निर्देश दिया।