पूर्व विद्यार्थियों का कहना था कि ऐसे अवसर हमें सकारात्मक यादों को ताजा करने का मौका देते हैं तथा एक-दूसरे से जुडऩे का अवसर देते हैं। ऐसे कार्यक्रमों से पूर्व छात्रों के साथ जुड़ाव और मजबूत होगा। सभी ने अपना परिचय देते हुए पुराने पलों को याद किया। पूर्व छात्रों ने उन स्वर्णिम पलों को ताजा किया जो उन्होंने सभा परिसर में बिताए थे। अपने पुराने दोस्तों से मिलकर उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। पूर्व छात्रों ने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि वे सभी इस महत्वपूर्ण संस्था के अंग रहे हैं।
इस यादगार सम्मेलन में सभी पूर्व विद्यार्थियों ने अपने समय की यादें साझा करते हुए अपने कठिन संघर्ष तथा लगनशील प्रयासों सेे मिली सफलता के साथ-साथ अपनी कमियों की भी उदार मन से चर्चा की और बहुमूल्य सुझाव भी दिए। उनका कहना था कि पूर्व छात्र ही संस्था को स्थाई पहचान देते हैं। इसलिए उनका साथ एवं सहयोग सहज मूल्यवान है। सभा हित में समय निकालकर हर संभव मदद करेंगे।
टीनगर स्थित दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व छात्र संघ का उद्घाटन शिक्षाविद प्रोफेसर राममोहन पाठक ने किया। इस अवसर पर उन्होंंने कहा कि अध्ययन के दौरान जो सीखा जाता है वही जीवन की थाती है। उस ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि जहां भी पूर्व छात्र हैं उनकी सूची तैयार करें तथा उत्साह के साथ उन्हें जोड़ें। यशस्वी छात्रों का एक समागम बने। माता-पिता एवं गुरुजनों से संस्कार सीखें। इस संस्था से वह नाता जोडक़र रखें। इस संस्थान की छवि को देश एवं दुनिया में फैलाने में सहभागी बनें।
प्रचार सभा की शिक्षा परिषद के अध्यक्ष एस. पार्थसारथी, सभा के कोषाध्यक्ष सीएनवी अन्नामलै, प्रधान सचिव प्रभारी एन. श्रीधर ने भी अपने विचार रखे। समारोह के अध्यक्ष सभा के कुलसचिव डा. प्रदीपकुमार शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजय एल. मादार ने स्वागत भाषण दिया। संचालन रीडर डा. नजीम बेगम ने किया।
डा. जयश्री ने धन्यवाद ज्ञापित किया। पूर्व छात्र संघ की कार्यकारिणी में डा. एलवीके श्रीधरन को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया। इसके साथ ही अन्य पदाधिकारियों में डा. वत्सला किरण उपाध्यक्ष, डा. मंजू रुस्तगी सचिव तथा डा. सविता धुडक़ेवार कोषाध्यक्ष चुनी गई। इसके साथ ही 10 कार्यकारिणी सदस्य भी बनाए गए।