scriptOnline Class: ऑनलाइन क्लास के दौरान 89 फीसदी बच्चों की हुई जासूसी | Online Class : 89 percent children were spied during online classes | Patrika News
चेन्नई

Online Class: ऑनलाइन क्लास के दौरान 89 फीसदी बच्चों की हुई जासूसी

Online Class : कोरोना के दौरान जब बच्चे ऑनलाइन क्लास Online Class ले रहे थे तब विज्ञापन कंपनियां एंड्राइड android और आईओएस ios प्लेटफार्म के जरिए 164 ऐप्प Apps से 89 फीसदी बच्चों की जासूसी कर रहे थे। मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने जब ऐप्स और तकनीकों की जांच की तो भयावह नतीजे सामने आए। बच्चों पर गुप्त तरीके से बिना किसी अनुमति के निगरानी की जा रही थी। 49 देशों के 1.5 अरब बच्चों की गुप्त जानकारियां 200 विज्ञापन कंपनियों को करोड़ों डॉलर में बेच दी गईं।

चेन्नईJun 08, 2022 / 08:11 am

arun Kumar

Online Class : ऑनलाइन क्लास के दौरान 89 फीसदी बच्चों की हुई जासूसी

Online Class : ऑनलाइन क्लास के दौरान 89 फीसदी बच्चों की हुई जासूसी

अरुण कुमार
कोरोना के दौरान जब बच्चे ऑनलाइन क्लास Online Class ले रहे थे तब विज्ञापन कंपनियां एंड्राइड android और आईओएस ios प्लेटफार्म के जरिए 164 ऐप्प से 89 फीसदी बच्चों की जासूसी कर रहे थे। मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्य) ने जब ऐप्स Apps और तकनीकों की जांच की तो भयावह नतीजे सामने आए। रिपोर्ट के अनुसार बच्चों पर गुप्त तरीके से बिना किसी अनुमति Withour permission के निगरानी की जा रही थी। खास बात है कि अमरीका, ब्रिटेन, चीन और भारत जैसे 49 देशों के 1.5 अरब बच्चों की गुप्त जानकारियां 200 विज्ञापन कंपनियों को करोड़ों डॉलर में बेच दी गईं। करीब 70 फीसदी बच्चों की जासूसी एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम android operating system के जरिए की गई। ऐप्स Apps के जरिए इस तरह की जासूसी पिछले 15 साल से हो रही थी लेकिन कोरोना में यह अप्रत्याशित रूप से बढ़ी। विज्ञापन कंपनियां बच्चों के इस डेटा को उत्पाद कंपनियों को बेच दिया जो बच्चों के व्यवहार पर अध्ययन कर उत्पाद लांच कर करोड़ों रुपए कमाएंगी।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने मार्च 2021 से अगस्त 2021 के बीच 164 रिमोट-लर्निंग ऐप्स की जांच की जिसमें 146 ऐप्स ऐसे थे जिनकी तकनीक बच्चों की निजता को खतरे में डाल रही थी या फिर डाल ही दी। ये ऐप्स बिना माता-पिता की सहमति के बच्चों पर नजर रख रहे थे।
एचआरडब्ल्यू की यह रिपोर्ट संघीय व्यापार आयोग (एफटीसी) की पिछले सप्ताह शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनियों को चेतावनी के बाद आई है। एफटीसी ने कहा कि वह उन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा जो ऑनलाइन शिक्षण सत्र के दौरान बच्चों की अवैध रूप से निगरानी कर रहे हैं।
बच्चों की इन गतिविधियों की हुई जासूसी
– बच्चे देश के किस जिले के किस क्षेत्र में हैं और कैसा व्यवहार करते हैं
– बच्चे कहां हंै, घर के किस कमरे में कितनी देर हैं, स्क्रीन पर क्या कर रहे हैं
– कमरे में अकेले कितनी देर रहते हैं या फिर दोस्तों से क्या बात करते हैं
– क्लास के दौरान बच्चे क्या खाना पसंद करते हैं और कैसे बैठते हैं
– बच्चों के परिजन किस तरह की तकनीक या उत्पाद खरीदने की क्षमता रखते हैं
– मोबाइल के की-पैड की मैपिंग और की-बोर्ड की आवाज भी रिकॉर्ड की गई
सरकारों ने नहीं नहीं जांची तकनीक
रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के दौरान बच्चों को वर्चुअल क्लास रूम तक पहुंचाने की जल्दबाजी में सरकारों ने इस बात की जांच तक नहीं की कि जिन तकनीकों या उत्पादों का प्रयोग स्कूलों में किया जा रहा है, वे सुरक्षित भी हैं या नहीं। बच्चों की निजता से खिलवाड़ महज इस लापरवाही का नतीजा है।
खास तरह से डिजाइन किए गए ऐप्स
90 फीसदी ऐप्स को विज्ञापन-प्रौद्योगिकी कंपनियों को जानकारी भेजने के लिए डिजाइन किया गया। इनमें से 60 फीसदी डेटा थर्ड पार्टी को भेजा गया। फेसबुक और गूगल पर डेटा साझा किए गए, जिसकी जांच हो रही है। ऐप्स में कैमरों, संपर्कों या स्थानों तक पहुंच का अनुरोध तब किया जाता था बच्चे कार्य सबमिट कर रहे होते थे।
बच्चों को दिखाए गए विज्ञापन
ऑनलाइन क्लासस के दौरान ज्यादातर प्लैटफॉर्म बच्चों के डेटा को विज्ञापन तकनीकों को उपलब्ध करवा रहे थे। ऐसा करके बच्चों को व्यवहार आधारित विज्ञापनों की दायरे में लाया गया और बहुत से मामलों में ऐसे विज्ञापन बच्चों को दिखाए भी गए। ऐप्स ने डेटा को ट्रैक करने के लिए बच्चों की आईडी को भी कॉपी किया।
स्मार्टफोन का स्मार्ट उपयोग जरूरी
यह बात सही है कि डेटा की पूरी जानकारी ऐप कंपनी को होती है और डेटा थर्ड पार्टी तक भी पहुंच जाता है। देश में डेटा प्रोटेक्शन कानून बनने तक सावधानी ही बचाव है। बेहतर होगा कि स्मार्टफोन का इस्तेमाल स्मार्ट तरीके से किया जाए और ऐप्स डाउनलोड करते वक्त पॉलिसी ध्यान से पढ़ें। हालांकि ऐप कंपनियां भी स्मार्ट हैं वह फ्री में कोई चीज नहीं देतीं और नए हथकंडे डेटा चुरा ही लेती है।
– वी. राजेन्द्रन, चेयरमैन, डिजीटल सेक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया, चेन्नई
graff.jpg

Home / Chennai / Online Class: ऑनलाइन क्लास के दौरान 89 फीसदी बच्चों की हुई जासूसी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो