चौपट हुआ कोचिंग सेन्टरों का कारोबार
ऑनलाइन शिक्षण से – कई सेन्टर बन्द होने के कगार पर- कई वर्चुअल मोड़ की ओर मुड़े
चेन्नई. कोरोना संकमण पर जाम लगाने के लिए जारी लॉकडाउन के चलते ऑनलाइन शिक्षण ने कोचिंग सेन्टरों का बिजनेस चौपट कर दिया जो इस समय बन्द पड़े हैं। ऐसे में इन संस्थानों को भारी नुकसान वहन करना पड़ा है। बदले पैटर्न में अब कोचिंग संस्थान वर्चुअल पैटर्न अपनाने लगे हैं। लेकिन ऑनलाइन प्लेटफार्म पर सामग्री भरी होने से विद्यार्थियों का वर्चुअल की तरफ उतना झुकाव दिख नहीं रहा है।
लॉकडाउन से पैदा हुए हालात के चलते ऑनलाइन का बाजार जरूर बढ़ा है। आईआईटी मद्रास समेत कई चोटी के संस्थान विद्यार्थियों को बेहतरीन ऑनलाइन शिक्षण उपलब्ध करा रहे हैं। लेकिन कोचिंग सेन्टरों के लिए अभी ऑनलाइन शिक्षा देना इतना फायदेमंद साबित होता नहीं दिख रहा है। संस्थान अभी यह भी तय नहीं कर पा रहे हैं कि ऑनलाइन प्लेटफार्म पर उनको किस तरह की शिक्षा दी जाए। दूसरे छात्रों को झुकाव भी कम नजर आ रहा है।
देश में 75 हजार करोड़ का कारोबार
देश में कोचिंग का कारोबार करीब 75 हजार करोड़ का बताया जाता है। राजस्थान के कोटा इंजीनियरिंग व मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए कोचिंग का हब बन चुका है। कोचिंग के चलते यहां कई पेइंग गेस्ट, होटल, रेस्टोरेंट समेत अन्य बिजनेस करने वालों को भी रोजगार मिल जाता है।
पिछले कुछ वर्षों से वहां कोचिंग का कारोबार तेजी से बढ़ा है। छात्र विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोटा, दिल्ली व अन्य शहरों की तरफ रुख करते रहे हैं। सिविल सर्विसेज, आईआईटी समेत अन्य प्रतिष्ठित परीक्षाओं के लिए छात्र कोचिंग का सहारा लेते हैं। प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ गई है। हर छोटे-बड़े शहरों में कोचिंग सेन्टर आज कुकुरमुत्ते की तरह से उग आए हैं।
कई अब ऑनलाइन राह पर
अब कई कोचिंग सेन्टर ऑनलाइन की राह पर चल पड़े हैं। छात्रों के सामने भी दूसरा कोई विकल्प नहीं है। ऑनलाइन कोचिंंग के बीच कई संस्थान निशुल्क ऑनलाइन एजुकेशन दे रहे हैं, ऐसे में इसका असर निश्चित रूप से कोचिंग सेन्टरों पर पड़ा है। ऑनलाइन एजुकेशन में कोचिंग सेन्टरों पर अधिक आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ रहा है। इससे छात्रों को भी कम खर्च में शिक्षा मिल जाती है। उनको रुकने के लिए किसी विशेष शहर में जाने की जरूरत नहीं होती।
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