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चेन्नई

TAMILNADU: हमारी हिन्दी भाषा ही है हमारी संस्कृति, उसको लुप्त नहीं होने दें

Apart from mother tongue, if we learns any other language, that will give benefit to us
हिन्दी अपनी मातृभाषा के अलावा अगर कोई अन्य भाषा सीखा जाए तो वह कहीं ना कहीं फायदा ही देगा।
 

चेन्नईSep 19, 2019 / 05:03 pm

Vishal Kesharwani

TAMILNADE: हमारी हिन्दी भाषा ही है हमारी संस्कृति, उसको लुप्त नहीं होने दें

TAMILNADE: हमारी हिन्दी भाषा ही है हमारी संस्कृति, उसको लुप्त नहीं होने दें

हमारी हिन्दी भाषा ही है हमारी संस्कृति, उसको लुप्त नहीं होने दें
चेन्नई. बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने मईलापुर स्थित अंचल में बुधवार को हिन्दी दिवस समारोह के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान पत्रिका चेन्नई संस्करण के संपादकीय प्रभारी पी.एस. विजय राघवन थे। बैंक ऑफ बड़ौदा के अंचल प्रमुख एवं महाप्रबंधक आर.एस. रामकृष्णन और उप अंचल प्रमुख एवं उप महाप्रबंधन अनिल कुमार सिंह ने अतिथि का सम्मान किया। कार्यक्रम की शुरुआत गीत प्रस्तुति और दीप प्रज्वलन से हुई।
अन्य भाषा सीखा जाए तो वह कहीं ना कहीं फायदा ही देगा।

इस मौके पर अपने संबोधन में विजय राघवन ने कहा कि हिन्दी अपनी मातृभाषा के अलावा अगर कोई अन्य भाषा सीखा जाए तो वह कहीं ना कहीं फायदा ही देगा। कोई भी भाषा किसी पर थोपी नहीं जा सकती है। अगर कई भाषाओं का ज्ञान रहेगा तो इससे भविष्य में फायदा मिलेगा। किसी अन्य भाषा को सीख कर ज्ञान बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दबाव में आकर कोई भी किसी अन्य भाषा का ज्ञान अर्जित नहीं कर सकता है। इसे सीखने के लिए कोशिश करने की जरूरत होती है।
अंग्रेजी की वजह से भारत की वह पहचान धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है।

अनिल कुमार सिंह ने कहा कि हिन्दी के साथ अंग्रेजी को भी १५ साल के लिए शुरू किया गया था और वर्ष १९६५ में अग्रेजी को खत्म कर हिन्दी जारी रखा जाने वाला था। लेकिन अंग्रेजी का वह दौर अब भी खत्म नहीं हो पाया है। पहले के समय में भारत को विकसित और सोने की चिडिय़ा कहा जाता था। लेकिन अंग्रेजी की वजह से भारत की वह पहचान धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है। उन्होंने कहा कि बहुत सारे ऐसे देश हैं जो अंग्रेजी को नहीं बल्कि अपने राजभाषा को महत्व देकर आगे बढ़ रहे हैं। भाषा से दूर होंगे तो हमारी मौलिक सोच भी खत्म होती जाएगी। अंग्रेजी को बढ़ावा देकर देश को पीछे किया जा रहा है। अगर देश की गति को बरकरार रखना है तो हमे हमारी राजभाषा के महत्व को समझना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी भाषा ही हमारी संस्कृति है। अगर भाषा से दूर होंगे तो अपनी संस्कृति से भी दूर होते चले जाएंगे। संस्कृति की रक्षा करनी है तो भाषा की रक्षा करनी होगी। इससे पहले उपस्थित लोगों ने गीत, कविताएं और चुटकुले पेश किए। अंचल द्वारा गत ५ सितम्बर से आयोजित हो रहे हिन्दी पखवाड़ा के तहत उच्चाधिकारियों के लिए हिन्दी टिप्पण, अधीनस्थ कर्मचारियों के लिए हिन्दी सुलेख, हिन्दी शब्द व बैंकिंग शब्दावली, हिन्दी में पीपीटी, चित्र लेखन और निबंध लेखन पर प्रतियोगिताओं के विजेताओं को अतिथियों ने प्रमाण पत्र से सम्मानित किया। राजभाषा की मुख्य प्रबंधक गौरी वी. एम. ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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