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चेन्नई

फीस वसूली के खिलाफ अभिभावक पहुंचे हाईकोर्ट

सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने गुरुवार को जवाब पेश किया था कि सरकार ने निर्णय किया है कि निजी शिक्षण संस्थानों को तीन किस्तों में शुल्क वसूली की अनुमति दी जाएगी

चेन्नईJul 10, 2020 / 09:18 pm

P S VIJAY RAGHAVAN

हाईकोर्ट को क्यों कहना पड़ा हमारे कंधे पर बंदूक रख गोली चलाने की कोशिश मत कीजिए

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चेन्नई. निजी शिक्षण संस्थानों को तीन किस्तों में शुल्क वसूली की अनुमति देने की सूचना के अगले दिन हाईकोर्ट में कुछ अभिभावकों ने अर्जी लगाकर इस निर्णय का विरोध किया।


पक्षकारों की ओर से अधिवक्ता एम. पुरुषोत्तमन ने कहा कि गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों को वसूली गई फीस का १५ प्रतिशत आरक्षित रखना होता है। यह सीबीएसइ का संविधान है। ऐसे आरक्षित कोष का उपयोग कोविड-१९ जैसे आपात स्थिति के वक्त किया जाता है। दूसरी बात यह कि इन शिक्षण संस्थानों द्वारा वसूली जाने वाली फीस का केवल एक चौथाई भाग ही वेतन भुगतान पर खर्च होता है। ऐसे में अगर फीस वसूली की अनुमति दी जाती है तो वह वेतन के हिस्से तक सीमित होनी चाहिए। लेकिन सरकार ने फीस वसूली की अनुमति देने संबंधी निर्णय करने से पहले अभिभावकों को विश्वास में नहीं लिया।

अधिवक्ता ने जस्टिस एन. आनंद वेंकटेशन के समक्ष विशेष मेंशन में यह बात रखी जो निजी शिक्षण संस्थानों की फीस वसूली की अनुमति संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने गुरुवार को जवाब पेश किया था कि सरकार ने निर्णय किया है कि निजी शिक्षण संस्थानों को तीन किस्तों में शुल्क वसूली की अनुमति दी जाएगी।

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