सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि राज्यपाल के पास इनकी रिहाई का अधिकार है। डीएमके और पीएमके सहित अन्य राजनीतिक दलों ने इस फैसले का स्वागत किया है।
कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए डीएमके अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने कहा आदेश को ध्यान में रखते हुए उनकी रिहाई को लेकर राज्य सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए। आदेश पर खुशी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा राज्य सरकार को तुरंत कैबिनेट बैठक बुलाकर एक प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से सिफारिश करनी चाहिए।
इस मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एम. करुणानिधि द्वारा किए गए प्रयासों को याद करते हुए स्टालिन ने कहा इसी वजह से सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि सजायाप्तओं की रिहाई को लेकर राज्य को अधिकार प्राप्त हैं। द्रविड़म कझगम के अध्यक्ष के. वीरमणि ने कहा कि अब अविलंब इस मौके का फायदा उठाते हुए रिहाई को लेकर कदम उठाने चाहिए।
पीएमके के लोकसभा सांसद डा. अन्बुमणि रामदास ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह आगे अपील नहीं करे। पीएमके संस्थापक डा. एस. रामदास ने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि वह तत्काल कैबिनेट बैठक बुलाकर नीतिगत निर्णय लेते हुए प्रस्ताव पारित करे।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन ने कहा कि कैदियों को छोडऩे के मामले में किसी प्रकार की जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। शिवगंगा में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा मामले में जल्दबाजी करने के बजाय रिहाई प्रक्रिया को विधिसम्मत बनाना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि डीएमके और कांग्रेस जब सत्ता में थी तब उनकी रिहाई पर क्यों नहीं कदम उठाए?
मंत्री ने कहा सरकार प्रतिबद्ध
पेरअरिवालन सहित अन्य हत्यारों की रिहाई पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता और राज्य के मत्स्य पालन मंत्री डी. जयकुमार ने कहा कि सजायाप्ता दोषियों की रिहाई को लेकर राज्य सरकार प्रतिबद्ध है और कोर्ट के आदेश का अध्ययन करने के बाद अगला कदम उठाएगी। इस मामले में राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री स्व.जे.जयललिता द्वारा किए गए प्रयासों का उन्होंने स्मरण कराते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विचार कर जल्द ही कोई निर्णय किया जाएगा। इसी बीच विधि मंत्री सी. वी. षणमुगम ने कहा, मुख्यमंत्री एडपाडी के. पलनीस्वामी से बातचीत करने के बाद अंतिम फैसला किया जाएगा।