निकाय का पिछला कार्यकाल बहुत पहले समाप्त हो चुका है लेकिन अब तक नए चुनाव को लेकर तिथि घोषित नहीं की गई है।
डीएमके को लगता है कि इस बार चुनाव जयललिता की उपस्थिति में न होने से इसका सीधा फायदा डीएमके को मिल सकेगा।
एआईएडीएमके के अलग-थलग पड़ी होने के चलते भी डीएमके को आशा है कि इसका लाभ जरूर उसे मिल सकता है।
डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन के प्रयासों से पार्टी ने 2016 के विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में भी सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की।
ऐसे में डीएमके को उम्मीद है कि इस बार स्थानीय निकाय चुनाव में भी डीएमके की सीटों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकेगी।